पुलिस के सामने सरेंडर नक्सली ने प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश को लेकर किया ये खुलासा

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के नामजद आरोपियों को भले बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली हो, लेकिन हैदराबाद में सरेंडर करने वाले सवा करोड़ के इनामी दुर्दांत नक्सली सुधाकरण ने जरूर दावा किया है कि कथित शहरी नक्सलियों पर प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रचने का आरोप गलत और बेबुनियाद है. प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी पार्टी के बारे में अहम खुलासा करते हुए सुधाकरण ने दावा किया कि पार्टी की इतनी हैसियत ही नहीं बची है कि वो प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रच सके. सुधाकरण के मुताबिक शहरों में रहने वाले वामपंथी विचारधारा के कुछ लोग प्रतिबंधित सीपीआई माओवादी का समर्थन जरूर करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि वो पार्टी में आकर कुछ मदद कर रहे हैं.

पुलिस के समक्ष सरेंडर के बाद सुधाकरण ने कहा कि 'प्रधानमंत्री को मारना है तो बाहर वाले क्या करेंगे, अगर ऐसा करना होता तो पार्टी करती, लेकिन पार्टी की इतनी हैसियत ही नहीं बची है. इस समय एक छोटे से नेता को मारने की तो हालत नहीं है, प्रधानमंत्री को क्या मारेंगे. पार्टी की हालत सभी जगह कमजोर हो गई है. केवल छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में पार्टी की हालत बाकी जगहों के मुकाबले कुछ मजबूत है. वो लोग काम कर रहे हैं. लेकिन बाकी जगह पार्टी बहुत कमजोर पड़ गई है'.

सुधाकरण ने भीमा कोरेगांव साजिश की जानकारी होने से भी इनकार किया है. हैदराबाद में रहने वाले वामपंथ समर्थक प्रोफेसर वरवर राव से संपर्क के बारे में सुधाकरण ने कहा कि वो वरवर राव को जानता है और 2010 में रामनगर षड़यंत्र केस में वरवर राव भी उसके साथ आरोपी थे, लेकिन उसके बाद से वरवर राव के संपर्क में नहीं रहा है. सुधाकरण का दावा है कि भीमा कोरेगांव साजिश के बारे में उसे अखबारों के जरिए जानकारी मिली.

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