पुलिस के खिलाफ 14 गांवों के हजारों आदिवासी जुटे, कहा- नहीं चाहिए सुरक्षा

दंतेवाड़ा
छह दिनों पहले दंतेवाड़ा जिले के गोंडेरास में ग्रामीणों से की गई मारपीट के बाद बुधवार को हजारों आदिवासियों ने पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। यहां 14 गांवों के ग्रामीणों रैली की शक्ल में पहुंचे। इसके बाद एक सभा का आयोजन हुआ और यहां से कलेक्टर से मांग की गई कि वे सभी आदिवासी अपने-अपने गांव में पुलिस के अत्याचारों के खिलाफ विशेष ग्रामसभा आयोजित करवाना चाहते हैं। ऐसे में गांवों में ग्रामसभा के लिए तारीखें तय की जाएं। 

बुधवार को सभा में सभी गांवों के सरपंचों को बिठाया गया और कहा गया कि वे कलेक्टर को लेटर लिखकर हर गांव में विशेष ग्रामसभा आयोजित करवाने के लिए तारीखें तय करवाए। यहां पहुंचे ग्रामीणों का कहना था कि उन्हें पुलिस से किसी प्रकार की सुरक्षा नहीं चाहिए क्योंकि पुलिस उनकी रक्षा के बदले उल्टा उन पर ही अत्याचार, मारपीट कर रही है और फर्जी मुठभेड़ के नाम पर आदिवासियों को मारा जा रहा है। 
बैठक का नेतृत्व सोनी सोरी कर रही है। उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत की बैठक के लिए कुछ नियम हैं। हम उन्हीं नियमों के तहत कलेक्टर से मांग कर रहे हैं कि वे ग्रामसभा के लिए तारीखें तय करें और इन तारीखों में ग्रामीण अपने निर्णय ले सकें। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में आदिवासी अब पुलिस के अत्याचारों से परेशान हो चुके है। ऐसे में अब वे खुलकर सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि गोंडेरास में भी नक्सलियों को मारने के बाद जवानों ने गांव के लोगों से मारपीट की और एक बेजुबान युवक को भी पीटा गया। 

ये गांव हुए शामिल 
बडेबेड़मा, सेमली, रेवाली, जबेली, बुरगुम, नीलावाया, पोटाली, नहाड़ी, गोड़ेरास, गोनपाली, पोरदेम, फूलपाड़, वानकापाल, अरनपुर। 

अनुसूचित क्षेत्रों के लिए बनाए गए पेशा कानून पर अमल करने। अनुसूचित क्षेत्रों में नया निर्माण नहीं करने। फर्जी ग्राम सभाओं का आयोजन बंद करो। बस्तर के प्राकृतिक संसाधनों को पूंजीपतियों को बेचना बंद करने। आदिवासियों के पेट पर लात मारने वाले सड़क पुलिया का निर्माण बंद करने। पुलिस सुरक्षा नहीं चाहिए। नए कैंपों को खोलना बंद करें क्योंकि पुलिस उन पर अत्याचार कर फर्जी मुठभेड़ में मार रही। 

दंतेवाड़ा में कानून-व्यवस्था खराब हो रही है। यहां पिछले कई दिनों से नक्सली उत्पात चरम पर है एक ओर आदिवासी रैलियां कर रहे हैं तो दूसरी ओर आदिवासियों की मांगों पर ही नक्सली भी अलग से रैलियां निकलवा रहे हैं। 

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