पिता की मौत भाई-बहन दहिसर में फंसे , घर जाने को पैसे नहीं

 मुंबई
लॉकडाउन के बीत पिता का साया अचानक से सिर से उठ गया। पैसों की तंगी घर वापसी की राह में रोड़ा बनी हुई है। अभिषेक और उनकी बहन पर दुखों का पहाड़ टूट गया है। बंगाल के 21 साल के अभिषेक बहन के साथ घर वापस जाना चाहते हैं, लेकिन उनके पास पैसे नहीं हैं। हालात ने कुछ ऐसे दिन दिखाए कि इंजिनियरिंग की फीस भी नहीं भर पाए। पड़ोसियों की बदौलत किसी तरह दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो रहा है।

दहिसर में रहने वाले अभिषेक ने बताया कि 23 मई को उनके पिता को बुखार आया। इसके बाद हम लोग उन्हें पास के एक डॉक्टर के पास ले गए थे। डॉक्टर ने दवाइयां दीं, लेकिन अगले दिन स्थिति बेहतर होने की बजाय और बिगड़ गई। डॉक्टर ने उन्हें अस्पताल ले जाने को बोला और हम अस्पतालों के चक्कर काटने लगे। हम बेड और वेंटिलेटर के लिए शताब्दी, भगवती और ट्रॉमा सेंटर तक गए।

क्या हुआ था पिता को
अभिषेक के पिता को बुखार के बाद सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी। उनके पिता की कोरोना रिपोर्ट के बारे में भी जानकारी नहीं दी गई। मौत के बाद अस्पताल वालों ने बताया कि उनके पिता सस्पेक्टेड (संदिग्ध) कोरोना मरीज थे।

पड़ोसी खिला रहे खाना
अभिषेक अपनी 12 साल की बहन के साथ दहिसर में रहते हैं। उनके पिता साड़ी पर डिजाइनिंग का काम करते थे। बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए वह उन्हें बंगाल से मुंबई लाए थे। अब पिता की अचानक मौत के बाद उन्हें कोई रास्ता नहीं सुझाई दे रहा।

अभिषेक को इंजिनियरिंग की फीस भरनी है। मां बंगाल में रहती हैं। वे दोनों वापस बंगाल जाना चाहते हैं, लेकिन पैसों की तंगी के कारण नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे हालात में भाई-बहन पड़ोसियों के यहां खाना खा रहे हैं। अभिषेक ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से उनके पिता का काम अच्छा नहीं चल रहा था। पिछले 2 महीने से घर का किराया भी बाकी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *