पाकिस्तान के ‘K2’ प्लान को विफल करने के लिए मोदी सरकार ने उठाया ये कदम

 नई दिल्ली 
आठ सिख कैदियों को रिहा करने और पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह की 1995 में हत्या के मुख्य साजिशकर्ता बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा के फैसले को उम्रकैद में बदलने का केंद्र सरकार का फैसला किसी खास योजना की तरफ इशारा करता है। एक सीनियर अधिकारी की मानें तो केंद्र सरकार ने ये फैसले सिखों की भावनाओं को शांत करने और पाकिस्तान के के-2 प्लान (कश्मीर और खालिस्तान) को बेपटरी करने के लिए उद्देश्य से लिया है। बता दें कि पाकिस्तान कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद से भारत के खिलाफ उठी भावनाओं को अपने लिए इस्तेमाल करने के फिराक में है।

गौरतलब है कि शनिवार को गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि पंजाब में आतंकवाद के दौरान अपराध करने के लिए देश की विभिन्न जेलों में बंद आठ सिख कैदियों को सरकार श्री गुरु नानक देवजी की 550वीं जयंती पर मानवीय आधार पर रिहा करेगी। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान खालिस्तानियों के जरिए भारत में नापाक कोशिशों को अंजाम देने के फिराक में है। यही वजह है कि पाकिस्तान समर्थित खालीस्तानी आतंकवादियों ने चीनी ड्रोन के जरिए भारत में हथियारों के खेप गिराए थे। 

अधिकारी ने कहा कि सरकार का यह फैसला 2015 से ही पाइपलाइन में था और इस साल पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में जैसे ही सरकार दोबारा सत्ता में आई, इस पर तुरंत तेजी लाई आई। बताया जाता है कि सरकार के इस फैसले के पीछे सिख समुदाय के घावों को ठीक करना और पंजाब में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने के लिए पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी आईएसआई द्वारा साजिश से "विदेश में रहने वाले कट्टरपंथियों" को दूर करना है। 

उन्होंने कहा कि यह कश्मीर और पंजाब में भावनाओं का फायदा उठाने की पाकिस्तान की आईएसआई की "के 2" योजना का हिस्सा है। इस मामले से परिचित एक अधिकारी ने कहा, '' भारत सरकार ने कश्मीर को विकास के रास्ते पर लाने के लिए धारा 370 को रद्द करने और सिख समुदाय की भावनाओं को शांत करने के मकसद से इस तरीके से जवाब दिया है। आठ सिखों को रिहा करने के पीछे सरकार की कोशिश है कि सिखों के भावनाओं को शांत किया जाए ताकि पाकिस्तान अपने मंसूबों में कामयाब न हो सके। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के अलावा यह फैसला विदेश मंत्री एस जयशंकर द्वारा इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग के प्रमुखों के साथ मिलकर किया गया है।

गौरतलब है कि इससे पहले गृह मंत्रालय ने भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे 312 विदेशी सिखों के नाम काली सूची से हटा दिए गए। अब इस सूची में सिर्फ दो नाम बचे हैं। विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों ने विदेशी सिख नागरिकों के नामों वाली काली सूची की समीक्षा की और उसके बाद यह फैसला लिया गया। विदेशी सिख नागरिकों संबंधी काली सूची के, विदेश में विभिन्न भारतीय मिशनों द्वारा प्रबंधन किए जाने के काम को भी भारत सरकार ने बंद कर दिया है। अधिकारी ने कहा कि सिख समुदाय के घावों को भरने की प्रक्रिया 12 नवंबर 2015 को लंदन में सिख समूहों के साथ प्रधान मंत्री मोदी की बैठक के साथ शुरू हुई। उस बैठक में कट्टरपंथी सिख तत्वों की वापसी की सुविधा की मांग उठाई गई थी।

गौरतलब है कि हथियारों और गोला-बारूदों की यह पूरी खेप जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले को अंजाम देने के मकसद से भेजी गई । पाकिस्तान की जासूसी एजेंसी इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस द्वारा समर्थित खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) नेटवर्क इसके पीछे है। 22 सितंबर को पंजाब पुलिस ने चार लोगों की गिरफ्तारी के साथ रविवार को खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (केजेडएफ) के एक आतंकी मॉड्यूल के खुलासे का दावा किया जिसे पाकिस्तान और जर्मनी स्थित समूहों का समर्थन हासिल था। पुलिस ने कहा कि आतंकी समूह पंजाब और पड़ोसी राज्यों में धमाके की साजिश रच रहा था। इन आतंकियों के पास से पांच एके-47 राइफल, पिस्तौल, सेटेलाइट फोन और हथगोलों समेत भारी मात्रा में हथियार बरामद किये गए हैं। 

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