पांबदियां खत्म करने के मुद्दे पर SC का हस्तक्षेप से इनकार, कहा- सरकार को मिलना चाहिए वक्त

 
श्रीनगर/नई दिल्ली 

जम्मू-कश्मीर में लगी पाबंदियों के बीच मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह प्रदेश में लगाए प्रतिबंधों को लेकर कोई आदेश जारी नहीं करेगा। कोर्ट ने मंगलवार को याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की दलीलों पर आदेश देते हुए कहा कि सरकार को राज्य की स्थितियों को सामान्य बनाने के लिए समय देना चाहिए, ऐसे में लगाई गई पाबंदियों को लेकर किसी भी प्रकार का आदेश नहीं दिया जाएगा। 
जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध और कर्फ्यू हटाए जाने तथा संचार सेवा बहाल करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से पूछा कि जम्मू-कश्मीर में और कितने दिनों तक पाबंदियां बरकरार रहेंगी। इस सवाल पर अटॉर्नी जनरल ने कहा कि सरकार पल-पल की परिस्थिति पर नजर रखे हुए है। 2016 में इसी तरह की स्थिति को सामान्य होने में 3 महीने का समय लगा था, ऐसे में सरकार की कोशिश है कि जल्द से जल्द हालात सामान्य हो जाएं। 
 

'राज्य का मामला संवेदनशील' 
याचिकाकर्ता की इस मांग पर की कश्मीर से पाबंदियों को खत्म किया जाए कोर्ट ने कहा कि सरकार को जम्मू कश्मीर में स्थिति सामान्य होने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि आज जम्मू-कश्मीर की पाबंदियों में ढील दी गई थी, अगर ऐसे में वहां कुछ होता तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता? कोर्ट ने कहा कि राज्य का मामला संवेदनशील है और सरकार को सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। कोर्ट प्रशासन के हर मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। 

सामान्य स्थिति होने का करें इंतजार 
याचिका पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार रोजाना स्थिति का जायजा ले रही है और ऐसे में स्थिति सामान्य होने का इंतजार किया जाना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने अपील पर यह भी कहा कि अगर स्थितियां सामान्य नहीं होती हैं तो आप बाद में इस मामले को फिर हमारे सामने ले आएं और हम उस वक्त इस मामले को देखेंगे। इसके अलावा सरकार ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कानून व्यवस्था और हालात की हर रोज समीक्षा की जा रही है और प्रदेश में किसी भी प्रकार के मानवाधिकार का हनन नहीं हो रहा है। अदालत ने इस याचिका पर सुनवाई को 2 हफ्ते के लिए टालते हुए कहा कि सरकार को इस संबंध में पूरी आजादी के साथ कार्रवाई करने की छूट मिलनी चाहिए। 
 

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