गंभीर जल संकट से जूझ रहा देश- 2030 तक 40 फीसदी आबादी के लिए खत्म हो जाएगा पानी

 
नई दिल्ली

देश में पड़ रही भीषण गर्मी के साथ ही जल संकट भी चरम पर पहुंच गया है। आने वाले समय में इसके और भी गहराने के आसार हैं। नीति आयोग ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट कर दिया है कि 2030 तक 40 फीसदी आबादी के लिए पीने लायक पानी नहीं बचेगा। जल संकट का सबसे ज्यादा असर बड़े शहरों पर पड़ेगा। रिपोर्ट के अनुसार 2020 से ही पानी की परेशानी शुरू हो जाएगी। तब करीब 10 करोड़ लोग पानी की उपलब्धता से वंचित हो जाएंगे।
 आयोग ने 3 साल पहले भी चेताया था कि देश में जल संरक्षण को लेकर अधिकांश राज्यों का काम अपेक्षानुरूप नहीं है। ऐसे में जल संकट की स्थिति बढ़ना लाजिमी है। 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण की दोगुनी हो जाएगी, जिसका मतलब है कि करोड़ों लोगों के लिए पानी का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा और देश की जी.डी.पी. में 6 प्रतिशत की कमी देखी जाएगी। महत्वपूर्ण राज्यों में मानसून को लेकर अनिश्चितता भी बढ़ रही है। ऐसे में अब सरकार को इस पानी के संकट का दूरगामी हल खोजना होगा।
 गिरता जा रहा भू-जल स्तर 
इससे पहले असम और हिमाचल प्रदेश का नाम भी जल संकट क्षेत्रों में आया था। तब मौसम विभाग ने बताया था कि कई वर्षों से देश के कुछ राज्यों में औसत से भी कम बारिश दर्ज की गई थी, जबकि कई राज्य सूखे की स्थिति से गुजर रहे हैं। यही वजह है कि भू-जल स्तर लगातार नीचे गिरता जा रहा है।
भीषण जल संकट से गुजर रहा चेन्नई इन दिनों तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में पानी भरने के लिए लगी लंबी-लंबी कतारें और लोगों के बीच होती लड़ाई किसी भी जगह देखी जा सकती है। लोगों को पानी का इस्तेमाल ध्यान से करने की चेतावनी दी जा रही है। यह हाल भारत के छठे सबसे बड़े शहर चेन्नई का है जहां इसी सप्ताह चार जलाशय सूख गए हैं। शहर की 40 लाख की आबादी के लिए सरकारी टैंकर ही एकमात्र आसरा हैं। तमिलनाडु में स्थिति और भी विकराल हो सकती है। चेन्नई में आगामी दिनों में 3 नदियां, 4 जल निकाय, 5 झीलें और 6 जंगल पूरी तरह से सूख जाएंगे।
 450 नदियों को जोडऩे का प्रस्ताव 
पानी के संकट से निपटने के लिए नीति आयोग ने देश की आधी, करीब 450 नदियों को आपस में जोडऩे का एक विस्तृत प्रस्ताव तैयार किया है। बरसात में या उसके बाद बहुत सी नदियों का पानी समुद्र में जा गिरता है। अगर समय रहते इस पानी को उन नदियों में ले जाया जाए, जहां साल के अधिकतर महीनों में सूखा रहता है तो आसपास के क्षेत्रों में खेती हो सकती है।

2 लाख लोगों की मौत 
हर साल नीति आयोग ने पिछले साल जारी रिपोर्ट में कहा था कि देश में करीब 60 करोड़ लोग पानी की गंभीर किल्लत का सामना कर रहे हैं। करीब 2 लाख लोगों की मौत का कारण स्वच्छ जल न मिल पाना बताया गया है। भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों में 120वें स्थान पर है।

महाराष्ट्र में भी जलाशय सूखे 
महाराष्ट्र के 4 बड़े जलाशयों में भी महज 2 फीसदी पानी बचा है। वहां के 6 बड़े जलाशयों का पानी इस्तेमाल के लायक नहीं है। राज्य में मांग हो रही है कि सरकार जलाशयों को जोडऩे की योजना और इस पर कानून बनाए।
 दिल्ली में 90 फीसदी जल स्तर गंभीर 
दिल्ली का 90 फीसदी भूमिगत जल का स्तर गंभीर स्थिति में पहुंच गया है। यहां के अलग-अलग क्षेत्रों में जलस्तर दो मीटर तक प्रति वर्ष के हिसाब से घट रहा है। दिल्ली का 15 प्रतिशत क्षेत्र नाजुक स्थिति में है। यही हाल देश के प्रमुख महानगरों का भी होता जा रहा है।

इन राज्यों की स्थिति कमजोर 
छत्तीसगढ़, राजस्थान, गोवा, केरल, ओडिशा, बिहार, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, झारखंड, सिक्किम, असम, नागालैंड, उत्तराखंड और मेघालय।

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