पहले बेमौसम बारिश और अब तना छेदक कीड़ा किसानों की फसल कर रहा चट

रायपुर
बेमौसम बारिश ने किसानों (Farmer) को काफी नुकसान पहुंचाया है. अब तना छेदक कीड़ा किसानों की फसलों को चट कर रहा है. कुछ फसलों में कीट का प्रकोप तो कुछ में बीमारियों की वजह से फसल खराब हो रही है. इससे किसानों को काफी नुकसान हो सकता है. भाठागांव के किसान डिरहाराम सोनकर के खेत में लगे मक्के की फसलों पर तनाछेदक कीड़े ने हमला कर उसे नष्ट कर दिया है. पौधों का ग्रोथ तो रुक गया. साथ ही साथ उसमें मक्के होने की संभावना काफी कम है. क्योंकि उसमें लगा कीट दवाओं के उपयोग के बाद भी मर नहीं रहा. साथ ही बरबट्टी की फसल अचानक से मरने लगी है.

किसान सोनकर ने बताया कि रासायनिक दावओं को लगातार उपयोग कर रहे हैं. इसके बाद भी कीट नहीं मर रहा. फसल खराब हो गया है. इससे उसे हजारों का नुकसान हो रहा है. वहीं इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय के कीट वैज्ञानिक चंद्रमणी साहू ने बताया कि तनाछेदक कीड़ा पौधे के कोम हिस्सों को पहले खाता है. उसके बाद पोधे के अंदर प्रवेश करता है. जिस तरह मक्के की फसलों में निशान पाया गया है वह फॉल आर्मीवर्म होने की संभावना है. वहीं जिस तरह बरबट्टी की फसल सूखे हैं उससे देख कर लगात है कि किसी बीमारी की वजह से ऐसा हुआ है.

खेत में लगे फसलों पर अक्सर कीटों को प्रकोप होता है. साथ ही कई तरह की बीमारियां हो जाती है. जैविक नियंत्रण के माध्यम से कीटों पर नियंत्रण किया जाता है. यह मानव के लिए घातक नहीं होता. जैविक कीट नियंत्रण के माध्यम से कीटों पर फफूद,वायरस,जीवाणु के माध्य से नियंत्रित किया जाता है. रासायनिक कीट नाशक का भी उपयोग किया जा सकता है. फफूंद के रूप में मेटाराइजिम एनीसोप्लाइ,बेबेरिया बेसियाना ,जीवाणु के रुप में बेसिलस थुरिन जिनेसिस (यह इल्ली के  लिए काम आता है।)यह सभी जैविक कीट नाशक इंदिरा गांधी कृषि विश्व विद्यालय में किसानों के लिए उपलब्ध हैं. रासायनिक कीट नाशक के रुप में 9.3 क्लोरेट्रानीलीप्रोल,लेम्डासाइलोहेलीथ्रीन 4.6% थापोमेक्जम 19.8%  के साथ  8 अलग-अलग तरह के रासयनिक दवा बाजार में उपलब्ध हैं.

वहीं टिड्डी को लेकर राज्य सरकार ने अलर्ट जारी किया है. टिड्डी दल ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों को तबाह कर दिया है. इसे लेकर अब छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अलर्ट जारी किया है. क्योंकि यह पड़ोसी राज्य है इसलिए बाराबर खतरा बना हुआ है. नाशीजीव प्रबंधन केन्द्र के सहायक निदेशक ने सीमावर्ती जिले के कृषि अधिकारियों, कर्मचारियों और किसानों को सतर्क रहने कहा है. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अलर्ट जारी किया है. टिड्डी दल शाम 6 से 9 बजे तक खेतों में स्वार्म करते है. इनकी गति 80 से 150 किलो मीटर प्रति  दिन होती है. टिड्डी फूल,फल पत्ते यहां तक के पौधों के छाल को भी चट कर जाती है. हर टिड्डी अपने वजन के बराबर खाना खाती है.

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