पहली से 8वीं तक ओड़िया भाषा के विकल्प पर होगा विचार
बिलासपुर
राज्य में ओड़िया भाषा बोलने वालों की संख्या के आधार पर राज्य सरकार ने पहली से आठवीं तक स्कूल के सिलेबस में ओड़िया को वैकल्पिक विषय के रूप में शामिल करने की मांग करते हुए दी गई अर्जी पर विचार कर निर्णय लेने का आश्वासन हाईकोर्ट को दिया है। रिटायर्ड हैडमास्टर ने 2016 में इस संबंध में विस्तृत जानकारी और संवैधानिक प्रावधानों का उल्लेख करते हुए राज्य सरकार को आवेदन दिया था। इस पर विचार नहीं होने पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई गई थी। हाईकोर्ट ने गुरुवार को याचिका निराकृत कर दी।
प्रदेश के रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़, महासमुंद, जगदलपुर, सरायपाली सहित अन्य कई शहरों में बड़ी संख्या में ओड़िया भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। कई परिवार तो यहां स्थायी रूप से बस गए हैं, लेकिन वे अपनी मातृभाषा का ही उपयोग आम बोलचाल में करते हैं। ऐसे परिवारों के बच्चों को प्राइमरी व मिडिल स्कूल की पढ़ाई में अपनी मातृभाषा का विकल्प नहीं मिलने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है। जबकि 10 वीं और 11वीं में इस भाषा का विकल्प उपलब्ध होता है। इसे लेकर रिटायर्ड हैडमास्टर प्रेमशंकर पंडा ने विस्तृत जानकारी के साथ 2016 में राज्य सरकार के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
एडवोकेट हमीदा सिद्दिकी के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी, इसमें राज्य में प्राइमरी व मिडिल स्कूल के पाठ्यक्रम में ओड़िया भाषा को शामिल करने की मांग करते हुए बताया गया था संविधान में भी मातृभाषा में शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है। याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने राज्य शासन को पक्ष रखने के निर्देश दिए थे। गुरुवार को शासन की ओर से प्रस्तुत किए गए जवाब में बताया गया कि पहली से आठवीं तक की शिक्षा में ओड़िया भाषा को भी शामिल करने की मांग करते हुए प्रस्तुत आवेदन पर विचार कर निर्णय लिया जाएगा। राज्य शासन का जवाब पेश होने के बाद हाईकोर्ट ने जनहित याचिका निराकृत कर दी है।