पहली पत्नी के बच्चों से ऐसे पेश आते हैं महेश भट्ट

महेश भट्ट का नाम ज्यादातर उनके बेबाक बयानों और जीवन से जुड़ी कॉन्ट्रोवर्सीज के कारण सुर्खियों में रहा है। खासतौर से सोनी राजदान के साथ उनकी सेकंड मैरेज और इसके लिए उनका अपनी पहली पत्नी और बच्चों को छोड़ देना, काफी चर्चा का विषय बना था। महेश भट्ट भले ही प्यार के मामले में जैसे भी रहे हों, लेकिन एक पिता का फर्ज उन्होंने निभाया है। यही वजह है कि इतना सबकुछ होने पर भी वह अपनी पहली पत्नी के बच्चों बेटी पूजा भट्ट और बेटे राहुल भट्ट के करीब हैं। उन्होंने पिता होने की एक परिभाषा भी दी थी, जो शायद सभी फादर्स पर फिट बैठती है।
 
एक इंटरव्यू में महेश भट्ट ने पिता होने की यह परिभाषा दी थी, 'एक व्यक्ति जो आपका इतना सम्मान करता है कि आप जैसे हैं, आपको वैसा ही रहने देता है; वह आपका हमेशा ठीक उसी तरह साथ देता है, जैसी आपको उससे अपेक्षा होती है; वह आपके साथ भावनात्मक रूप से वफादार है।' यह परिभाषा ऐसी है, जिससे शायद हर पिता को सीख लेते हुए, उसे अपने जीवन में अपनाना चाहिए। क्यों? चलिए जानते हैं।
 
ऐसे बच्चे जिन पर पिता किसी खास तरह के होने का दबाव डालते हैं या फिर उनके नेचर के विपरीत उन्हें बदलने की कोशिश करते हैं, वे कई तरह की इमोशनल और मेंटल प्रॉब्लम्स से गुजर सकते हैं। उदाहरण के लिए अगर बेटा एमबीए करना चाहता है, लेकिन पिता का मन है कि वह डॉक्टर बने और इसे लेकर लगातार दबाव बनाया जाए, तो वह डिप्रेशन का शिकार होकर हो सकता है। इसी तरह अगर कोई बच्चा ज्यादा घुलना-मिलना पसंद नहीं करता, लेकिन उसके मिलनसार पिता उसे जबरन बाहर ले जाते हैं, तो यह भी उस पर स्ट्रेस डाल सकता है।इसके उलट अगर बच्चे को गाइड करते हुए, वह जिसमें अच्छा है, उसी में और बेहतर बनाने की कोशिश की जाए, तो वह शानदार व्यक्तित्व वाला सफल व्यक्ति बनता है।
 
आप सोच भी नहीं सकते कि अगर बच्चे के दिमाग में सिर्फ यह ख्याल भी बना रहे, कि उसके पिता उसे सपोर्ट करते हैं और हमेशा करते रहेंगे, तो उसमें जिंदगी में आने वाली मुश्किलों का सामना करने के लिए कितनी हिम्मत आ जाती है। उसे पता है कि अगर वह गिरेगा, तो पिता उसे उठने में मदद करेंगे। वह अगर भटकेगा, तो उसे सही राह दिखाएंगे। ये चीजें बच्चे को स्ट्रॉन्ग बनने में काफी मदद करती हैं।
 
भावनात्मक रूप से वफादारी का अर्थ है इमोशनल लेवल पर बच्चे को कभी धोखा न देना। उदाहरण के लिए, अगर बच्चा स्ट्रेस में है और पिता से भावनात्मक सपोर्ट की अपेक्षा करता है, लेकिन पिता अपने काम में इतना व्यस्त रहे कि वह इसे इग्नोर कर दे और इसकी जगह पैसे थमाकर या डांट लगाकर बेटे को तनाव दूर करने के लिए कहे, तो यह उसके लिए इमोशनल हर्ट और बिट्रैअल की तरह है।

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