पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सीटें घटीं, वोट प्रतिशत बढ़ा
नई दिल्ली
हाल में हुए लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल में अपनी 12 सीटें खोने के बावजूद ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस अपने वोट बैंक को बचाने में काफी हद तक कामयाब रही है। लेकिन भाजपा ने अपना वोट बैंक बढ़ाकर उसके लिए आगामी विधानसभा चुनावों के लिए कड़ी चुनौती पैदा कर दी है।
पश्चिम बंगाल में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए अपनी सीटें दो से बढ़ाकर 18 कर ली। उसका वोट प्रतिशत करीब 22 फीसदी बढ़ा है। लेकिन मतों के आंकड़े बताते हैं कि तृणमूल का अपने वोट बैंक पर कब्जा न सिर्फ बरकरार रहा बल्कि उसमें करीब साढ़े तीन फीसदी का इजाफा हुआ है।
हाल में जारी दलों के मत प्रतिशत से पश्चिम बंगाल में हुई रोचक राजनीतिक जंग का पता चलता है। लड़ाई सीधे भाजपा और तृणमूल के बीच थी। लेकिन तृणमूल के वोट को भाजपा जरा भी नहीं काट पाई।
भाजपा वामदलों और कांग्रेस के वोट को ही काट पाने में सफल हो सकी। पिछले लोकसभा चुनाव में वामदलों को करीब 29 फीसदी वोट मिले थे जो इस बार घटकर आठ-नौ फीसदी रह गया। कांग्रेस के नौ फीसदी से घटकर चार फीसदी रह गए। भाजपा को 2014 में करीब 18 फीसदी वोट मिले थे और इस बार इसमें 22 फीसदी का इजाफा हुआ और 40.25 फीसदी वोट मिले।
भाजपा की सीटें दो से बढ़कर 18 हो गई। दूसरी तरफ तृणमूल कांग्रेस को पिछले लोकसभा चुनाव में 39 फीसदी वोट मिले थे जो इस बार साढ़े तीन फीसदी बढ़कर 43.28 फीसदी हो गए। लेकिन उसकी सीटें 34 से घटकर 22 रह गई। जबकि अकेले सीपीएम के14 फीसदी और कांग्रेस के चार फीसदी और अन्य दलों के करीब पांच फीसदी वोट घटे हैं जो अधिकांश भाजपा की झोली में गए हैं।
आगे के लिए संकेत
दोनों दलों के मत प्रतिशत को आधार मानकर यदि 2021 के विधानसभा चुनावों पर संभावित असर को देखें तो दोनों दलों के बीच सीधी लड़ाई होगी। तृणमूल के लिए चुनौती यह होगी कि जिस प्रकार वह लोकसभा चुनाव में अपने वोट बैंक को मजबूती से अपने साथ बांधे रही, क्या वैसा ही वह विधानसभा चुनावों में भी कर पाएगी। दूसरे, भाजपा के लिए दोहरी चुनौती होगी। एक वह तृणमूल के मतों में सेंध लगाए और दूसरे वामदलों एवं कांग्रेस के जिस वोट बैंक में उसने सेंध लगाई है, वह वापस इन दलों के पास न जाने पाए।