पश्चिमी मध्य रेल्वे: भोपाल रिजर्वेशन टिकट काउंटर IRCTC के हवाले

भोपाल
रेल मंत्रालय के नए मसौदे के  बाद पश्चिमी मध्य रेल्वे के भोपाल मंडल के करीब 20 रिजर्वेशन टिकट काउंटर आईआरसीटीसी के हवाले हो जाएंगे।  मंडल रेल प्रवक्ता आईए सिद्दीकी के मुताबिक पिछले माह जुलाई में विंडो काउंटर के जरिए भोपाल व हबीबगंज स्टेशन में करीब 60 हजार टिकट जनरेट किए गए थे। बांकी 70 फीसदी टिकट अॉनलाइन ही बुक किए जा रहे हैं। जो अब इस प्रोजेक्ट के लागू होने के बाद शत-प्रतिशत सौ फीसदी हो जाएगा।

रेल मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए नए प्रोजेक्ट के  आधार पर भोपाल मंडल के भोपाल,हबीबगंज समेत अन्य सभी रिजर्वेशन कांउटर को अब आईआरसीटीसी के हवाले हो जाएंगे। इसके बाद सभी रिजर्वेशन टिकट अॉनलाइन उक्त वेबसाइट या एप के जरिये जारी हो सकेंगे। रेल मंत्रालय की इस मुहिम में यात्री को उत्कृष्ट सुविधा मिले न मिले,लेकिन रेल्वे के वित्तीय भार में कमी जरूर आएगी। यह इसलिए क्योंकि रिजर्वेशन टिकटों की कालाबजारी, इंटरनेट हैकिंग,फिशिंग आदि की संभावना चौबीसों घंटे है। ऐसे में आईआरसीटीसी के टिकट प्लेटफॉर्म में सेंध न हो सके इसके पुख्ता इंतजाम कर पाना प्रबंधन की सबसे बड़ी चुनौती है।

गौरतलब है कि पहले रेल्वे ट्रेन टिकट क्रिस(सेंटर फार रेल्वे इनफारर्मेशन सिस्टम)चैनल से काउंटर के जरिए मुहैया कराता था जो अब आईआरसीटीसी यानि इंडियन रेल्वे कैटेरिंग एंड टुरिज्म कार्पोरेशन के माध्यम से कराने हेतू प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रहा है। जिसके मुताबिक रेल्वे की रिजर्वेशन टिकट अब आईआरसीटीसी के मार्फत आॅनलाइन मिलेगी।

आईआरटीसी एप या वेबसाइट के जरिये हो टिकटों की अॉनलाइन बुकिंग करना सुविधा भी और समस्या भी। सुविधा ये कि ट्रेन टिकट की माजूदगी पब्लिक डोमेन में होने के कहीं से भी और कभी भी जनरेट की जा सकती है। इसके विपरीत समस्या ये कि इसमें होने वाले सायबर ट्रैफिक,हैकिंग, टिकटों की कालाबजारी एवं इंटरनेट की पर्याप्त स्पीड व टिकट रैकेट के गिरोह पर भी अंकुश लगा पाना आदि ये सब चुनौतियां हैं। जिनसे निपटना आसान नहीं है। क्योंकि इससे पहले कई बार आईआरसीटीसी इसका शिकार हो चुका है जिसमें टिकट रैकट के मामले में उप्र,कोलकता समेत कई राज्यों से निकलकर सामने आए थे जिसमें सीबीआई को पर्दाफाश करने के लिए मामले हैंड ओवर करने पड़े थे।

हालांकि इसमें सीबीआई ने काफी जद्दोजिहद के बाद सफलता पा ली थी। किंतु अब इसका दायरा बढ़ने के चलते रैकेट की संभावना और अधिक बढ़ जाती है। तब ऐसे में यह कह पाना मुश्किल होगा कि आईआरसीटीसी से रेल्वे टिकट आसानी से जनरेट किए जा सकतें हैं। ये हैकर डुब्लीकेट वेबसाइट के यूआरएल बदलने से लेकर,रिमोट लॉगिन,वेब वायरस समेत कई अन्य हमले करने में तकनीकविदों से भी आंगे हैं। सिस्टम जब तक इससे निपटने के उपाय खोजता है तब तक ये हैकर दूसरे रास्ते निजात कर लेतें हैं।

इस चैनल में सर्वर की तकनीकी गड़बड़ी व अन्य समस्या होने पर अगर टिकट जनरेट नहीं हो पाता है और यूजर के खाते से भुगतान हो जाता है तब इसकी वापसी कैसे होगी। साथ ही आॅनलाइल फ्राड के चलते ठगी होने की दशा में इसका जबावदेह कौंन होगा।   ऐसे आॅनलाइन ठगी के कई मामले पब्लिक संज्ञान में आएं हैं जिसमें संबधित बैंक एवं प्रबंधन एक-दूसरे पर टालने लगतें है। तब इस दशा में ग्राहकों की सुनवाई कहां होगी। इन सब खामियों के समाधान हेतू समुचित प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम पर भी विचार किया जाना चाहिए।
 

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