परिसीमन के मामले में हाईकोर्ट ने कमलनाथ सरकार को दिया झटका, अधर में लटक सकता है भोपाल बंटवारा!

इंदौर
हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ (Indore Bench) ने मध्य प्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) को बड़ा झटका देते हुए नगर निगम और नगर पालिका की परिसीमन प्रक्रिया पर स्टे लगा दिया है. दरअसल, कमलनाथ सरकार (Kamal Nath Government) ने प्रत्येक जिला कलेक्टर को नगर निगम (Municipal Corporation) और नगर पालिका के परिसीमन प्रक्रिया (Delimitation Procedure) को पूरा करने के लिए निर्देश दिए थे, जिसके तहत नगर निगम में वार्डों की संख्या घटाई और बढ़ाई जा सकती थी, लेकिन इन निर्देशों के विरोध में इंदौर नगर पालिका निगम के एमआईसी सदस्य दिलीप शर्मा ने हाइकोर्ट में चुनौती देते हुए प्रक्रिया को गलत बताया था. उनका तर्क था कि परिसीमन के निर्देश राज्य सरकार नहीं बल्कि राज्यपाल द्वारा दिए जाने चाहिए थे. जबकि राज्य सरकार ने सीधे कलेक्टर को परिसीमन के आदेश दे दिए, जो कि गलत है.

याचिका की सुनवाई करते हुए हाइकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था, लेकिन राज्य सरकार के जवाब से हाइकोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ और परिसीमन की प्रक्रिया को गलत मानते हुए इस पर स्टे लगा दिया गया है. जबकि मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को की जाएगी, जिसमें राज्य सरकार से विस्तृत में जवाब मांगा गया है. हाइकोर्ट के निर्देश के मुताबिक मौजूदा परिद्रश्य में जिन नगर निगम और नगर पालिका में वार्ड की संख्या घटाई और बढ़ाई जा रही है. उस पर अगले आदेश तक रोक रहेगी. वैसे इसका सीधा असर इंदौर नगर निगम सीमा में जुड़ने वाले बाग और नेनौद गांव पर भी होगा. इसके अलावा माना जा रहा है कि भोपाल नगर निगम को दो हिस्सों में बांटने के फैसले पर भी इसका असर हो सकता है.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता पुष्पमित्र भार्गव के मुताबिक पार्षद दिलीप शर्मा और भारत पारख की तरफ से याचिका लगाई गई थी, जिस पर से शासन की और से उपस्थिति अधिवक्ता ने अपनी दलीले आज न्यायालय में पेश की गई. इसके उपरांत नगर निगम सीमांकन को लेकर हाईकोर्ट ने दिया स्टे दिया है. जबकि मामले में अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी.

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