पतंजलि को ‘नैचरल’ के हथियार से जवाब दे रहीं FMCG कंपनियां

  मुंबई
योग गुरु रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद ने अपने प्राकृतिक उत्पादों (नैचरल प्रॉडक्ट्स) के दम पर कुछ वर्ष पहले देश के तेजी से बढ़ते फास्ट-मूविंग कन्ज्यूमर गुड्स (FMCG) सेक्टर में बड़ी हलचल पैदा की थी। पतंजलि ने कुछ प्रॉडक्ट कैटिगरी में हिंदुस्तान यूनिलीवर जैसी बड़ी कंपनियों के दबदबे को चुनौती दी थी। इस वजह से प्रतिद्वंद्वी कंपनियों, विशेष तौर पर मल्टिनैशनल को अपने प्रॉडक्ट पोर्टफोलियो में बदलाव कर कम कीमत पर आयुर्वेदिक या नैचरल प्रॉडक्ट्स पेश करने के लिए मजबूर होना पड़ा था। इन कंपनियों को इस स्ट्रैटिजी का फायदा मिलता दिख रहा है। 
 
कहां मजबूत, कहां कमजोर है पतंजलि? 
पतंजलि ने घी, आटा, आयुर्वेदिक हेल्थ सप्लिमेंट्स, टूथपेस्ट जैसे प्रॉडक्ट्स में अच्छी सफलता पाई है, लेकिन नूडल्स, बिस्कुट, पर्सनल केयर, चॉकलेट और जूस जैसे प्रॉडक्ट्स में उसकी बिक्री कमजोर है। पतंजलि के आने के बाद हिंदुस्तान यूनिलीवर के पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स की बिक्री पर असर पड़ा था। इस वजह से कंपनी ने अपने आयुष ब्रैंड को दोबारा लॉन्च किया और आयुर्वेदिक हेयर ऑइल ब्रैंड इंदुलेखा को खरीद लिया। 

"खतरा कम हुआ है। पतंजलि ने बहुत सी चीजों में हाथ आजमाने की कोशिश की थी। लेकिन उसने बैकएंड को मजबूत बनाने पर ध्यान नहीं दिया। पतंजलि डिमांड बनाने में तो सफल हुई, लेकिन डिमांड पूरी करने में नहीं।"
-मिलिंद सरावटे, पूर्व सीएफओ, मैरिका

कोलगेट को परेशानी 
कोलगेट पामोलिव को ओरल केयर सेगमेंट में इसी तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इससे निपटने के लिए कोलगेट पामोलिव ने अपनी हर्बल टूथपेस्ट लॉन्च की थी। FMCG सेक्टर पर जेपी मॉर्गन की रिपोर्ट में बताया गया है कि कोलगेट पामोलिव के बिजनस पर पतंजलि का असर घट रहा है। इसका कारण कोलगेट पामोलिव का मजबूत डिस्ट्रीब्यूशन हो सकता है। 

यहां चूक गई पतंजलि? 
एक्सपर्ट्स का कहना है कि ऑर्गनाइज्ड मार्केट में प्रतिस्पर्धा घट रही है क्योंकि केवल पतंजलि के प्रॉडक्ट्स के साथ 'नैचरल' की विशेषता का आकर्षण अब नहीं रहा। अन्य ब्रैंड्स ने भी ऐसे प्रॉडक्ट्स समान कीमतों पर पेश किए हैं। मैरिका के पूर्व सीएफओ मिलिंद सरावटे ने कहा, 'खतरा कम हुआ है। पतंजलि ने बहुत सी चीजों में हाथ आजमाने की कोशिश की थी। लेकिन उसने बैकएंड को मजबूत बनाने पर ध्यान नहीं दिया। पतंजलि डिमांड बनाने में तो सफल हुई, लेकिन डिमांड पूरी करने में नहीं।' 

ऐनालिस्ट्स का मानना है कि आने वाले समय में छोटी कंपनियों को पतंजलि से अधिक टक्कर मिल सकती है। सरावटे ने कहा कि पतंजलि में और हलचल पैदा करने की क्षमता बरकरार है। उनका कहना था, 'पतंजलि को मार्केट की बड़ी कंपनियां अनदेखा नहीं कर सकतीं। पतंजलि अभी भी हैरान करने की क्षमता रखती है।' 
 

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