पतंजलि की होगी रुचि सोया, 4325 करोड़ रुपये की बोली को मिली NCLT की मंजूरी

नई दिल्ली
योग गुरु बाबा रामदेव की अगुवाई वाला पतंजलि समूह अब तक के अपने सबसे बड़े अधिग्रहण में खाद्य तेल कंपनी रुचि सोया का मालिक बनने जा रहा है. राष्ट्रीय कंपनी न्यायाधिकरण (NCLT) ने रुचि सोया के लिए पतंजलि की 4,350 करोड़ रुपये की संशोधित बोली को मंजूरी दे दी है. पहले इस खरीद की दौड़ में अदानी समूह की कंपनी अदानी विलमर भी थी, लेकिन उसके बोली से हटने के बाद रुचि सोया के लिये पतंजलि एकमात्र बोलीदाता रह गई थी. कंपनी के ऊपर करीब 9,345 करोड़ रुपये का कर्ज है.

NCLT ने कहा कि यह मंजूरी इस बात पर निर्भर करेगी कि समाधान पेशेवर को अगली तारीख 1 अगस्त से पहले बोली के लिए लगाए गए 600 करोड़ रुपये के कोष के सही स्रोत के बारे में सूचना दे दी जाए. इसके पहले मई महीने में कर्जदाताओं ने कर्ज में डूबी खाद्य तेल कंपनी रुचि सोया के अधिग्रहण के लिये पंतजलि आयुर्वेद की 4,325 करोड़ रुपये की बोली को मंजूरी दे दी थी.

कर्जदाताओं ने 9,345 करोड़ रुपये के कर्ज की वसूली के लिये यह नीलामी शुरू की थी. पहले इस खरीद की दौड़ में अदानी समूह की कंपनी अदानी विलमर भी थी. लेकिन उसके बोली से हटने के बाद रुचि सोया के लिये पतंजलि एकमात्र बोलीदाता रह गई थी.

अदानी विलमर का चयन कुछ महीने पहले सबसे बड़ी बोलीदाता के रूप में हुआ था. इसके बावजूद उसने बोली से हटने का निर्णय किया. कर्जदाताओं ने पंतजलि की 4,325 करोड़ रुपये की संशोधित बोली को मंजूरी दे दी थी. करीब 96 प्रतिशत मतदान इसके पक्ष में हुआ.

देसी कंपनी रुचि सोया के अधिग्रहण के साथ पंतजलि सोयाबीन तेल तथा अन्य उत्पादों के मामले में एक बड़ी कंपनी बन जाएगी. गौरतलब है कि एनसीएलटी ने कर्जदाता स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक तथा डीबीएस बैंक के आवेदन पर रुचि सोया के मामले को इन्सॉल्वेंसी की कार्यवाही के लिये भेजा था. इन्सॉल्वेंसी की कार्यवाही के लिए शैलेन्द्र अजमेरा को समाधान पेशेवर नियुक्त किया गया.

रुचि सोया इंडस्ट्रीज के ऊपर 9,345 करोड़ रुपये का बकाया है. इसे वित्तीय कर्जदाताओं में से भारतीय स्टेट बैंक ने सर्वाधिक 1800 करोड़ रुपये का कर्ज दे रखा है. उसके बाद क्रमश: सेंट्रल बैंक आफ इंडिया (816 करोड़ रुपये), पंजाब नेशनल बैंक (743 करोड़ रुपये) तथा स्टैन्डर्ड चार्टर्ड बैंक इंडिया (608 करोड़ रुपये) का स्थान है. रुचि सोया के कई मैन्युफैक्चरिंग प्लांट हैं. इसके ब्रांड में न्यूट्रिला, रुचि स्टार और रुचि गोल्ड जैसे ब्रांड शामिल हैं.

पतंजलि के प्रवक्ता एस.के. तिजारावाला ने अप्रैल में कहा था, 'हमने अपनी बोली को बढ़ाकर 4,350 करोड़ रुपये कर दिया है, जो पहले 4,160 करोड़ रुपये का था. हम रुचि सोया को संभालने के लिए तैयार हैं जिसके पास सोयाबीन का सबसे बड़ा बुनियादी ढांचा है. यह देश के लिए एक संपदा की तरह है. बोली बढ़ाने का निर्णय सभी पक्षों, किसानों और उपभोक्ताओं से बात करने के बाद लिया गया.'

अदानी विल्मर ने पहले यह शिकायत की थी कि रेजोल्युशन प्रोसेस में काफी देरी हो रही है, जिसकी वजह से रुचि सोया के एसेट के वैल्यू में और गिरावट आएगी. हालांकि बाद में अदानी समूह की यह कंपनी दौड़ से बाहर हो गई. अदानी विल्मर का कहना था कि पतंजलि समूह द्वारा एनसीएलटी, मुंबई की शरण में चले जाने की वजह से इस प्रक्रिया में देरी हुई है. रुचि सोया के कर्जदाताओं ने पहले अदानी विल्मर की बोली को मंजूर कर लिया था, जिसे पतंजलि ने एनसीएलटी में चुनौती दी थी. 

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