नेपाल: एफएम रेडियो ने लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा का जारी किया मौसम बुलेटिन

पिथौरागढ़
नेपाल के संसद की तरफ से नया राजनितिक नक्शा जिसमें भारतीय हिस्से लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा बताकर उसमें शामिल किया गया था, उस पर मुहर लगाने के बाद अब वहां के कुछ एफएम रेडियो चैनल्स ने मौसम बुलेटिन देना शुरू कर दिया है। भारत-नेपाल सीमा के नजदीक उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में कुछ नेपाली एफएम रेडियो स्टेशनों की तरफ से इन तीनों जगहों के बारे में मौसम की जानकारी दी जा रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक, ये एफएम रेडियो स्टेशन्स नेपाल के दारचुला में हैं और इन्हें सीमा से सटे इलाके जैसे-धारचुला, बालुकोट, जौलजिबी और कलिका टाउंस में सुना जा सकता है। धारचुला के रूंग समुदाय के एक जाने माने नेता कृष्ण गरबियाल ने कहा कि इन नेपाली एफएम स्टेशनों ने कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा मानकर ठीक उसी तरह सूचनाएं देनी शुरू की हैं जिसे भारत ने पाकिस्तान के कब्जे में कश्मीर में किया है। मई के पहले हफ्ते में भारतीय मौसम विभाग ने मौसम के पूर्वानुमानों में पाकिस्तान के कब्जे वाले हिस्सा जैसे- मुजफ्फराबाद और गिलगित बाल्टिस्तान के बारे में मौसम की जानकारी देनी शुरू की थी।

सीमावर्ती स्थानीय लोगों खासकर धारचुका में रह रहे लोगों का कहना है कि नेपाली की तरफ से एफएन चैनलों ने गानों के बीच में नेपाली राजनेताओं के भाषण चलाकर प्रोपगेंड चला रखा है कि ये इलाके नेपाल के हैं। धारचुला के लोगों ने इस बात की पुष्टि की है कि भारत की तरफ से लिपुलेख पास रोड के उद्घाटन के बाद से नेपाल के एफएम चैनलों ने गानों के बीच में इस तरह के भाषणों को चलाना शुरू किया है। धारचुका के दंतु गांव के निवासी ने शालू दयाल ने बताया, “सीमा के दोनों तरफ के लोग नेपाली गानों को सुनते हैं, ऐसे में इस तरह के भारत विरोध भाषण जो नेपाली नेताओं के तरफ से समय-समय पर दिए जाते हैं उनसे सीमा के दोनों तरह रहने वाले लोगों की सोच पर असर पड़ता है। ऐसा कर वे दोनों तरफ के लोगों के रिश्तों में तल्खी पैदा कर रहे हैं।”

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