नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में रोटा वायरस और टीडी वैक्सीन शामिल : स्वास्थ्य मंत्री

रायपुर
छत्तीसगढ़ में नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में दो नए टीकों को शामिल किया गया है। नियमित टीकों के साथ ही अब बच्चों को डायरिया से बचाने रोटा वायरस वैक्सीन पिलाया जाएगा। टिटनेस और डिप्थिरिया से बचाने टीडी वैक्सीन भी लगाया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. सिंहदेव ने आज अंबिकापुर में बच्चों को रोटा वायरस ड्राप पिलाकर इसकी शुरूआत की। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे इन टीकों के बारे में माता-पिता को बताएं जिससे कि बच्चे डायरिया, टिटनेस और डिप्थिरिया से सुरक्षित रहें। प्रदेश के सभी जिलों में आज से ये टीके लगने शुरू हो गए हैं। दो नए टीकों को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल किए जाने के बाद अब बच्चों को 11 जानलेवा बीमारियों से बचाया जा सकेगा।  

स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव ने रोटा वायरस टीकाकरण का शुभारंभ करते हुए कहा कि छोटे बच्चों को डायरिया से बचाने रोटा वायरस का टीका बहुत जरूरी है। स्वस्थ पीढ़ी तैयार करने हम सभी को अपनी सहभागिता देनी होगी और जिम्मेदारियों का निर्वहन बेहतर ढंग से करना होगा। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे गांव-गांव में इस टीके के बारे में बताएं। माता-पिता और परिजनों को जागरूक करें। बच्चों को रोटा वायरस टीके की पांच-पांच बूंदें तीन बार पिलानी है। इसकी तीन खुराक क्रमशः जन्म के छठवें,  दसवें और चौदहवें सप्ताह में देनी है।

टीडी वैक्सीन टिटनेस और डिप्थिरिया से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं और बच्चों को लगाया जाता है। बच्चों को पहली बार यह टीका 10 वर्ष की उम्र में और दूसरी बार 15 वर्ष की उम्र में लगता है। पहली बार गर्भधारण करने वाली महिलाओं को गर्भावस्था की पहली तिमाही में इसे एक माह के अंतराल में दो बार लगाया जाएगा। वहीं तीन साल के भीतर दूसरी बार गर्भवती महिलाओं को टीडी वैक्सीन पहली तिमाही में ही एक बार लगेगा।

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