नायडू की सत्ता साधना: दिल्ली में राहुल-शरद के बाद लखनऊ में अखिलेश से की मुलाकात

नई दिल्ली

अभी आखिरी चरण की वोटिंग बाकी है, मतगणना 23 मई को है, लेकिन दिल्ली से लेकर आंध्र प्रदेश, और उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने के लिए सुगबुगाहटें तेज हो गई है. अगले पांच साल तक हिन्दुस्तान की सत्ता पर कौन राज करेगा, इसे लेकर समीकरण जोड़े-तोड़े जाने लगे हैं. इस पूरी कवायद में आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू एक मध्यस्थ बनकर उभरे हैं. वह केंद्र में गैर बीजेपी सरकार बनाने के लिए सारे संभावित परिदृश्यों पर विचार कर रहे हैं

इसी सिलसिले में नायडू ने शनिवार को सियासी दिग्गजों के साथ मैराथन बैठकें की. उन्होंने सुबह कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से उनके आवास पर मुलाकात की और संभावित चुनाव परिणामों पर चर्चा की. इसके बाद नायडू राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार और लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव से मिले और चुनाव बाद के परिदृश्य में संभावित समीकरणों पर चर्चा की.

विपक्ष की ये सारी कोशिश इस तथ्य पर आधारित है कि अगर केंद्र नतीजों के बाद नरेंद्र मोदी फिर से स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है तो बिना मौका गंवाए विपक्षी दलों को एकजुट रखा जा सके. इसी कोशिश की आगे बढ़ाते हुए यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने भी 23 मई को नतीजों के बाद विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है.

नायडू शनिवार शाम ही लखनऊ में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों मायावती और अखिलेश यादव से मुलाकात कर रहे हैं. नायडू लखनऊ पहुंच हो गए हैं. इस वक्त वह एसपी ऑफिस में अखिलेश यादव से मुलाकात कर रहे हैं. यूपी में महागठबंधन की अगुवाई कर रहे मायावती और अखिलेश गैर बीजेपी सरकार के गठन में अहम घटक शामिल हो सकते हैं.

बता दें कि शुक्रवार को नायडू ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी से भी भेंट की थी और चुनाव बाद गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा की थी.

गैरबीजेपी सरकार के गठन के लिए चंद्रबाबू नायडू ने आश्चर्यजनक रूप से अपने कट्टर प्रतिद्वंद्वी और तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव को भी इस महागठबंधन में शामिल होने का न्यौता दिया था. टीआरएस की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाते हुए उन्होंने कहा था कि टीआरएस सहित सभी पार्टियों का गैर-बीजेपी महागठंबधन में स्वागत है.

दिलचस्प यह है कि तेलंगाना सीएम के चंद्रशेखर राव अपने अलग मिशन में व्यस्त हैं. राव एक गैर कांग्रेस, गैर बीजेपी मोर्चा बनाना चाहते हैं. इस सिलसिले में वह डीएमके चीफ स्टालिन से मुलाकात कर चुके हैं. हालांकि स्टालिन ने उन्हें दो टूक कहा था कि इस वक्त तीसरे मोर्चे की संभावना नजर नहीं आ रही है, इस पर चुनाव नतीजों के बाद ही विचार किया जा सकेगा.

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