नान घोटाले के साथ इस केस में भी आरोपी हैं सस्पेंड आईपीएस मुकेश गुप्ता
रायपुर
साल 1988 बैच के आईपीएस और रमन सरकार में सत्ता के करीबी माने जाने वाले मुकेश गुप्ता की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं. कथित 36 हजार करोड़ रुपये के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले में आईपीएस मुकेश गुप्ता पर एफआईआर दर्ज की गई है. अवैध रूप से फोन टैपिंग को लेकर सरकार ने उन्हें सस्पेंड भी कर दिया है. पूछताछ के लिए ईओडब्ल्यू ने चार नोटिस भेजे हैं. पूछताछ के लिए कभी भी उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है.
अपनी तेजतर्रार छवि और कार्यशैली को लेकर चर्चा में रहे आईपीएस मुकेश गुप्ता पर पद का दुरुपयोग कर कई मामलों की जांच प्रभावित करने का आरोप है. कई गंभीर मामलों में मुकेश गुप्ता की भूमिका पर सवाल खड़े किए जाते रहे हैं. मूलत: मध्यप्रदेश के इंदौर के रहने वाले मुकेश गुप्ता को छत्तीसगढ़ की पिछली रमन सरकार ने जनवरी 2018 में प्रमोट कर डीजी बनाया. फरवरी 2019 में वर्तमान सरकार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया है.
नान घोटाले की जांच के दौरान आरोपियों और संबंधित दर्जनों लोगों के फोन टैप करने का आरोप डीजी मुकेश गुप्ता पर है. इस आरोप में ही डीजी मुकेश गुप्ता को बीते 9 फरवरी को सस्पेंड कर दिया गया. मुकेश गुप्ता के साथ ही आईपीएस रजनेश सिंह पर साजिश, फर्जी दस्तावेज बनाने समेत आधा दर्जन अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया है.
छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित डॉ. मिक्की मेहता की वर्ष 2001 में संदिग्ध मौत हो गई थी. मिक्की मेहता की मां और भाई मानिक मेहता का आरोप है कि उसकी हत्या हुई थी. मामले में आईपीएस मुकेश गुप्ता के ऊपर गंभीर आरोप लगा और मामला बिलासपुर हाई कोर्ट भी पहुंचा. आरोप लगा कि मुकेश गुप्ता ने अपने पद और पावर का दुरुपयोग करते हुए मिक्की की मौत के मामले को प्रभावित किया.
मानिक मेहता की मानें तो उसकी बहन डॉ. मिक्की मेहता से आईपीएस मुकेश गुप्ता ने पहले से शादीशुदा होते हुए भी वर्ष 1999 मंदिर में विवाह किया था. साथ ही कहा था कि वह अपनी पहली पत्नी से अलग हो जाएंगे. इस बीच मिक्की और मुकेश की एक बेटी भी हुई, जिसका नाम मुक्ता है. बेटी के होने के बाद मिक्की ने मुकेश के ऊपर पहली पत्नी को छोड़ने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया. मुकेश ने शादी से पहले जो वादा किया था, उसे पूरा करने का वो उस पर प्रेशर बनाने लगी. हालांकि मुकेश ऐसा नहीं करना चाहते थे. मानिक का आरोप है कि मिक्की के शिकायत करने के डर से अपनी नौकरी खतरे में पड़ते देख उसने मिक्की की हत्या कर दी.
आईपीएस मुकेश गुप्ता पर दुर्ग एसपी रहते भिलाई साडा की जमीन बेजा तरीके कब्जे में लेने का आरोप है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल विपक्ष में रहते हुए इस मामले में कई बार प्रेस कॉंफ्रेंस लेकर कार्रवाई की मांग कर चुके हैं. इसके अलावा साल 2009 में राजनांदगांव के मदनवाड़ा में नक्सल हमले में एसपी विनोद चौबे सहित 36 जवानों के मारे जाने के मामले में भी मुकेश गुप्ता पर सवाल खड़े किए थे. तब वे दुर्ग रेंज के आईजी थे.
ऐसा नहीं है कि आईपीएस मुकेश गुप्ता का नाता सिर्फ विवादों से ही रहा है. मुकेश गुप्ता एक समय में कांग्रेस के भी काफी करीबी माने जाते थे. छत्तीसगढ़ में अजीत जोगी के शासनकाल में मुख्यमंत्री निवास घेरने जा रहे भाजपा नेताओं पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया था. इस समय मुकेश गुप्ता रायपुर के एसपी थे. इस लाठीचार्ज में तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष नंदकुमार साय का पैर टूट गया था. इसके बाद भाजपा की सरकार बनने पर गुप्ता पर विशेषाधिकार हनन का आरोप लगा और उन्हें सस्पेंड करने की मांग भी विधानसभा में की गई, लेकिन तब की रमन सरकार ने उनपर कोई कार्रवाई नहीं की गई.