नागरिकता कानून से क्यों भड़के हुए हैं देशभर के मुस्लिम संगठन?

 
नई दिल्ली 

मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहा है. रविवार को देश की राजधानी दिल्ली में हुए इसी विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया है, जिसकी वजह से विवाद बढ़ता जा रहा है. सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि अलीगढ़, मुंबई, पुणे तक इस विरोध की आंच फैली हुई है, हर किसी की एक ही राय है कि मोदी सरकार द्वारा लाया गया ये कानून संविधान के खिलाफ है और अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाता है.

क्यों खफा हैं मुस्लिम संगठन?

नागरिकता कानून के तहत तीन देशों से गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को भारत में रहने की इजाजत मिलती है. दरअसल, कई संगठनों ने डर जताया है कि इससे अल्पसंख्यकों के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है. वो इसलिए भी क्योंकि अगर अभी CAB में सिर्फ हिंदू-जैन-सिख-ईसाई-पारसी-बौद्ध को जगह दी जाती है, तो बाद में NRC के तहत इसका सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ेगा.

NRC पर सवाल क्यों खड़े हो रहे हैं?

कई मुस्लिम संगठनों और नेताओं का दावा है कि देशभर में NRC लागू करने को लेकर CAB सिर्फ पहला चरण है. अगर NRC पूरे देश में आता है, तो जिन लोगों को बाहरी बताया जाएगा उसमें अधिकतर की संख्या मुस्लिम समुदाय की हो सकती है. तर्क ये भी है कि अगर NRC से किसी और समुदाय के लोग निकलते हैं, तो उन्हें CAB के तहत नागरिकता भी दी जा सकती है लेकिन सीधा असर मुस्लिम समुदाय पर पड़ने वाला है.

हाल ही में असम में हुई NRC में इसका उदाहरण दिखा था, जिसमें मुस्लिम समुदाय के लोगों की भी बड़ी संख्या थी. हालांकि, अभी NRC की असम लिस्ट को मानने से स्थानीय सरकार भी इनकार कर रही है.

दिल्ली में हुआ हिंसक प्रदर्शन

रविवार को नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन हुआ. जामिया इलाके में प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया, इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने बस, बाइक, गाड़ियों में आग लगा दी जिससे हालात बिगड़ते चले गए. दिल्ली पुलिस भी जामिया के कैंपस में घुस गई और प्रदर्शनकारियों पर लाठियां बरसाईं.

इस कानून के खिलाफ अभी तक 15 से अधिक याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की जा चुकी हैं, इनमें से एक AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की याचिका भी शामिल है.

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