नदी-नालों को पार कर दे रही है स्वास्थ्य कार्यकर्ता सेवाएं
रायपुर। कोण्डागांव जिले के दूरस्थ, दुर्गम और संवेदनशील क्षेत्रों में भी मैदानी कर्मचारियों द्वारा बखुबी अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया जा रहा है, जो वास्तव में सभी के लिए अनुकरणीय और प्रेरणादायी है। अधिकतर कर्मचारी अपना कार्य क्षेत्र मुख्यालय अथवा आस-पास के इलाको में चाहते है, इसके विपरीत कई मैदानी कर्मचारी ऐसे भी है जो सुदूर दुर्गम क्षेत्रों में पदस्थ रहकर अपने दायित्वों को तत्परतापूर्वक अंजाम दे रहे है। इन्हीें में से एक है महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता ममता गढ़पाले। स्वास्थ्य कार्यकर्ता ममता ग्राम बेचा, कड़ेनार जैसे घनघोर जंगल तथा कई प्राकृतिक अवरोधों से घिरे हुए क्षेत्रों में रहकर ग्रामीणों को स्वास्थ्य सुविधाएं जैसे-टीकाकरण, प्रसव, मौसमी बीमारियों की दवाईयों के वितरण आदि सेवाओं को ग्रामीणों तक पहुंचा रही है।
अगर ग्राम बेचा की भौगोलिक स्थिति की बात की जाए तो जिला मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग 60 से 65 कि.मी. है और यह मुख्यालय के अंतिम छोर पर बसा हुआ गांव है, इस पहुंचविहीन ग्राम में आने के लिए ग्राम कड़ेनार से दो नदियाँ भवरडीह और मारी नदी को पार करना पड़ता है वह भी मोटर सायकल अथवा पैदल चलकर। पुल-पुलिया के अभाव के कारण वर्ष के चार महीनों में ग्रामीण नावों से आवागमन करते है। ज्ञात हो कि माओवादीग्रस्त क्षेत्र होने कारण इन क्षेत्रों में पुल-पुलिया, रोड इत्यादि के निर्माण बाधा उत्पन्न होती रही है। स्वाभाविक है इन विषम परिस्थितियों के चलते स्वास्थ्य सुविधाएं यहां ज्यादा अच्छी नहीं कही जा सकती, इन ग्रामों में अन्य अत्यावश्यक उपयोगी मूलभूत सेवाओं को ग्रामीणों तक पहुंचाना जिला प्रशासन के लिए एक चुनौती रहा है। इसके मद्देनजर जिला प्रशासन ने विशेष प्रयास करते हुए सर्वप्रथम इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं को सुधारने की पहल की और महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता की नियुक्ति आदेश जारी किए और अब उक्त स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा वर्तमान में नदी-नालों को पार कर ग्रामीणों के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को पहुंचाने का सराहनीय प्रयास किया जा रहा है।