नतीजों ने बढ़ाई टेंशन, कमलनाथ ने बुलाई विधायक दल की बैठक

भोपाल
 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस में हड़कंप मच गया है| पांच माह बाद ही जनता का मिजाज इस कदर बदल जाएगा और परिणाम इतना उलट आ सकता है यह किसी ने भी नहीं सोचा था| आखिर किन कारणों से कांग्रेस को इतनी बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा इसको लेकर अब मंथन शुरू हो गया है| नतीजों की समीक्षा को लेकर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 26 मई को विधायक दल की बैठक बुलाई है|

नतीजों से जहां कांग्रेस हिल गई है, वहीं बीजेपी नेताओं के चुनाव बाद सरकार गिरने के दावों से भी कमलनाथ की चिंता बढ़ गई है| क्यूंकि अब प्रचंड बहुमत के साथ बीजेपी केंद्र में सरकार बनाने जा रही है, जिससे बीजेपी नेताओं के हौसले बुलंद है| बैठक में नतीजों की समीक्षा के साथ सभी विधायकों को एकजुट रखने की कोशिश भी की जायेगी| वहीं उन मंत्रियों पर भी गाज गिर सकती है जिनकी परफॉर्मेंस चुनाव में खराब रही है| हालांकि सभी मंत्रियों के क्षेत्रों में कांग्रेस प्रत्याशी हारे हैं, ऐसे में इस बैठक के बाद बड़ी उठापठक देखने को मिल सकती है| प्रदेश में मिली इस बड़ी हार के बाद कमलनाथ बड़ा फैसला ले सकते हैं|
 

बता दें कि नवंबर 2018 में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिल पाया था। 230 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस को 114 जबकि भाजपा को 109 सीटें मिल पायी थी। बहुमत के लिए आवश्यक 116 के आंकड़े को दोनों ही दल नहीं छू पाए थे। तब चार निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायकों ने कांग्रेस को समर्थन देने की चिठ्ठी सौंपकर उसकी सरकार बनाने की राह आसान कर दी। कमलनाथ ने चार निर्दलीय विधायकों में से एक को मंत्री बनाया। इसके बाद अन्य विधायकों ने भी मंत्री बनाने की, जिन्हे बाद में आश्वासन दिया गया| सपा और बसपा के साथ कांग्रेस के रिश्ते अभी ठीक नहीं है, ऐसे में इन पार्टियों के विधायकों को भी मंत्री पद देकर खुश किया जा सकता है| मंत्रिमंडल विस्तार होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं|  एक चर्चा यह भी है कि कमलनाथ कैबिनेट का नए सिरे से गठन कर सकते हैं|

गौरतलब है कि कमलनाथ सरकार के गठन से ही भाजपा निशाना साधती रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान भी भाजपा ने प्रचारित किया कि लोकसभा चुनाव बाद कमलनाथ सरकार गिर जाएगी। इस दौरान नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने बहुमत साबित करने की मांग करते हुए राज्यपाल को पत्र भी लिख दिया था| नतीजों से पहले इसको लेकर जमकर सियासत गरमाई थी| अब जब नतीजे आ चुके हैं तो कांग्रेस को भय यह है कि भाजपा एक दो माह में उसका गेम बिगाड़ सकती हैं। इस भय की बानगी शुक्रवार को उस समय देखने को मिली जब नीमच के एक कांग्रेस विधायक हरदीप सिंह डंग के इस्तीफे की खबर सोशल मीडिया पर वायरल होते ही प्रदेश कांग्रेस एक्टिव हुई और तत्काल उससे संपर्क स्थापित कर खंडन भी वायरल किया गया कि डंग ने इस्तीफा नहीं दिया। डंग इकलौते सिख विधायक है, इस नाते मंत्री बनने की उम्मीद थी, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। चूंकि वे नाराज हैं इसलिए जैसे ही उनके इस्तीफे की खबर वायरल हुई कांग्रेस का डैमेज कंट्रोल दस्ता सक्रिय हो गया।

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