नक्सलवाद खात्मे और शांति बहाल के लिए साइकिल से निकले 300 से ज्यादा युवा

रायपुर 
छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सलियों और सरकार के बीच जंग जारी है, लेकिन नासूर बन चुके नक्सलवाद का दंश सबसे ज्यादा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है. आज इन्हीं की वजह से अंदरूनी इलाके के लोगों को पलायन करना पड़ा है. हालांकि पलायन कर चुके लोग आज भी चाहते हैं कि बस्तर में नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म हो जाए.

बता दें कि नक्सलवाद का सबसे बड़ा असर संवेदनशील एरिया के ग्रामीणों पर पड़ा है, जिसमें अंदरूनी इलाके के ग्रामीण दो हिस्सों में पिसते रहें. ऐसे में अब आखिरकार अपना सब कुछ छोड़कर ग्रामीणों ने पड़ोसी राज्य में पनाह ले ली है. इसी क्रम में इस पर सीएम से चर्चा करने साइकिल से निकले 300 से ज्यादा युवाओं में शामिल पंचम सुरेश का कहना है कि वो कभी सुकमा जिले के कोंटा में रहता था, लेकिन नक्सलवाद के कारण उसे अपना गांव छोड़ना पड़ा.

सुरेश का कहना है कि सरकार को शांति बहाल करनी चाहिए, लेकिन सरकार को ये भी देखना होगा कि आखिरकार इतने प्रयासों के बाद भी जिले से नक्सलवाद खत्म क्यों नहीं हो रहा है.

बता दें कि इन 300 युवाओं की टोली की अगुवाई 60 साल के एक बुजुर्ग कर रहे हैं. कांकेर जिले के दुर्गूकोंदल के रहने वाले रिटायर्ड शिक्षक शेरसिंह आंचल का कहना है कि नक्सल पीड़ित लोगों ने कभी अपनी मांग नहीं रखी. जिस तरह से नई सरकार के मुखिया ने कहा है तो अब भावी पीढ़ियों के लिए दोनों ओर से शांति के लिए पहल करनी चाहिए.

वहीं युवाओं की अगुवाई कर रहे 60 साल के शेर सिंह आंचला ने कहा कि सरकार को इस बात की जानकारी लेनी चाहिए कि अंदरूनी गांव के लोगों को वनवासी कहा जाता है. ये कभी हथियार चलाना नहीं जानते. इनके पास से हथियार आखिर आए कहां से और किसने इन्हें ये हथियार चलाना सिखाया.

बहरहाल, प्रदेश की सरकार इस मसले पर अभी चर्चा करने की योजना बना रही है, लेकिन इसके पहले ही लोगों का जत्था सरकार से बात करने निकल पड़ा है. अब देखना है कि पीड़ितों के साथ चर्चा कितनी सार्थक होगी और बस्तर में शांति के लिए उठाए कदम कितने सफल होंगे.

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