नए संवत में भी शेयर रहेंगे नरम!

नई दिल्ली/मुंबई
हिंदू कैलेंडर वर्ष संवत 2075 में सेंसेक्स में 12 फीसदी और निफ्टी में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है। हालांकि घरेलू और वैश्विक मोर्चे पर अड़चनों को देखते हुए विश्लेषकों का कहना है कि संवत 2076 में बाजार में तेजी बने रहने की संभावना कम ही है। उनके अनुसार नए संवत में पूरे साल बाजार में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। घरेलू मोर्चे पर अर्थव्यवस्था की स्थिति, राजकोषीय और चालू खाते का घाटा, घरेलू और विदेशी निवेशकों के निवेश निकालने, ब्याज दरों, तरलता की स्थिति, सरकार की नीतिगत पहल और कंपनियों की आय में धीमी वृद्घि जैसे कारक बाजार की धारणा को प्रभावित करेंगे। विश्लेषकों ने कहा कि वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्घ, प्रमुख केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियां तथा तेल के दाम अहम कारक होंगे, जो बाजार की दिशा तय करेंगे।

डाल्टन कैपिटल के प्रबंध निदेशक यू आर भट्ट ने कहा संवत 2076 में दोनों छमाही के दौरान अलग-अलग स्थितियां होंगी। मार्च 2020 के बाद घरेलू स्तर पर चीजें ठीक होनी चाहिए। लेकिन तब तक मनोबल नरम बना रहेगा। वैश्विक स्तर पर अमेरिका-चीन में व्यापार युद्घ, अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों की मौद्रिक नीतियां और भू-राजनीतिक मसले अहम भूमिका अदा करेंगे। अगले एक साल में निफ्टी के 10,500 से 13,000 के दायरे में कारोबार करने की उम्मीद है। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि सरकार की ओर से घोषित विभिन्न उपायों से आर्थिक गतिविधियों में सुधार होने से निवेशकों की धारणा को भी बल मिलेगा। उन्होंने कहा, निकट अवधि में असर सीमित रहेगा।

सुधार अगले वित्त वर्ष में दिख सकता है और खपत मांग बढे से निवेश को बल मिल सकता है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने संवत 2075 में 68,517 करोड़ रुपए का शुद्घ निवेश किया, वहीं घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 65,391 करोड़ रुपए का निवेश किया है। एडलवाइस में शोध प्रमुख (संस्थागत इक्विटी) आदित्य नारायण का मनना है कॉरपोरेट कर में कटौती ने बाजार के स्तर पर बदल दिया है। वृद्घि को लेकर रेटिंग बढ़ाई गई है। इससे कारोबार में जोखिम लेने की क्षमता बढ़ी है लेकिन अभी इसका ज्यादा असर नहीं हुआ है। अगले एक साल में बाजार में 8 फीसदी की तेजी आ सकती है। अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक का रुख समायोजन वाला बना रहेगा। नोमुरा ने उम्मीद जताई कि दिसंबर में आरबीआई एक बार फिर रीपो दर में 15 आधार अंक की कटौती कर सकता है।

बैंक आॅफ अमेरिका मेरिल लिंच में निदेशक और भारत में अर्थशास्त्री इंद्रनील सेनगुप्ता ने उम्मीद जताई कि मांग को बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से और प्रोत्साहन के उपाय किए जा सकते हैं और रीपो दर में 25 आधार अंक की और कटौती हो सकती है। उन्होंने कहा अगर त्योहारों के दौरान मांग में तेजी नहीं आती है तो सरकार आय कर में कटौती कर सकती है।

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