नए शिक्षण सत्र से नो-डिटेंशन पॉलिसी समाप्त, अब छात्रों को करनी होगी कड़ी मेहनत

भोपाल 
अगले शैक्षणिक सत्र से पांचवीं और आठवीं कक्षा में पढने वाले छात्र-छात्राओं को पढकर परीक्षा देनी होगी। और परीक्षा में पास होने के लिए मेहनत करनी होगी। जुलाई से स्कूलों में शुरू होने वाले नए शिक्षण सत्र से नो-डिटेंशन पॉलिसी प्रभावी नहीं रहेगी। यह पॉलिसी 2010 में राइट-टू-एजुकेशन के तहत देशभर के स्कूलों में अपनाई गई, जिसके तहत प्राइमरी एजुकेशन सिस्टम यानी 8वीं क्लास तक बच्चों की परफॉर्मेंस खराब होने पर भी उन्हें फेल नहीं कर सकते हैं। 

यह पॉलिसी बच्चों में पढ़ाई के डर को कम करने के लिए शुरू की गई थी। वे बच्चे जो ड्रॉप ले रहे थे या फिर काफी प्रेशर में थे, उन बच्चों पर से पढ़ाई का प्रेशर खत्म करने के लिए यह पॉलिसी एजुकेशन सिस्टम में लाई गई थी। इस नीति को समाप्त करने का उन अभिभावकों ने स्वागत किया है जो अपने बच्चों को मेहनत के आधार पर पढाई करने के लिए प्रेरित करते हैं। 

छात्र की प्राथमिक शिक्षा के दिनों में जो बेस (आधारभूत शैक्षिक स्तर) तैयार होता है। वही उसकी उच्च शिक्षा ग्रहण करने तक काम करता है। नो डिटेंशन नीति से शिक्षकों और बच्चों में पढाई के प्रति गंभीरता नहीं रह गई थी। और बच्चों का प्राईमरी बेस कमजोर होने की वजह से कई बार सरकारी स्कूलों के बच्चों को कक्षा नौवीं में पंहुचने पर गिनती पहाडे जोडना-घटाना भी नहीं आता है। और दसवीं की बोर्ड परीक्षा में कई बच्चे फेल हो जाते हैं। नो डिटेंशन नीति में संशोधन के बाद अब छात्र अपनी पढाई और शिक्षक अपने स्कूल की रेंकिग पर ध्यान देंगे। इससे प्रतियोगी परीक्षाओं में स्टूडेंट्स को भी सफलता मिलेगी। 

राज्य शिक्षा केन्द्र की डायरेक्टर आइरिन सिंथिया जे.पी.ने प्रदेश के सभी डीईओ को पत्र लिखकर कक्षा 5वीं और 8वीं की परीक्षा कॉपियों को दूसरे संकुल केन्द्र में भेजकर मूल्यांकन कराने के निर्देश दिये हैं। अभी तक प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं की परीक्षा कॉपियां स्कूल के संकुल केन्द्र पर ही जांची जाती हैं। इस बार 31 मार्च को इन परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित किया जायेगा।

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