नए बजट में रेलवे को पुरानी योजनाओं के पूरा होने की उम्मीद, काफी कामों के लिए करना होगा इंतजार
रायपुर
पिछले बजट की रेल योजनाएं बेपटरी हैं। सबसे अधिक पुरानी योजनाओं को पूरा करने पर जोर दिया गया था, लेकिन न तो वाल्टेयर रेल लाइन के दोहरीकरण और न ही नया रायपुर रेल लाइन में तेजी आई।
रायपुर सेक्शन के मालगाड़ी बाइपास रेल लाइन के उरकुरा सेक्शन से रेल फ्लाईओवर बनाने के लिए सर्वे एजेंसी का अभी पता नहीं है। इसके लिए जो स्टीमेट बनाकर सर्वे एजेंसी तय करने की टेंडर प्रक्रिया पूरी करनी थी, वह अधर में ही अटकी हुई है। सिर्फ रेलवे क्रासिंग पर ही ब्रिज का निर्माण आगे बढ़ पाया है।
अब अलग से रेल बजट पेश करने की परंपरा समाप्त कर दी गई है। आम बजट में ही रेल बजट को समाहित कर दिया गया है। जो आने वाला है, इसे लेकर रेलवे के गलियारे में उम्मीदों की सुगबुगाहट तेज हो गई है। रेल अफसरों की मानें तो नए बजट में बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती है। यहां तक नया रायपुर में प्रस्तावित कोचिंग डिपो टर्मिनल के लिए इंतजार करना पड़ेगा। रेलवे क्रासिंग को बंद करने और पुरानी योजनाओं को पूरा करने में ही अधिक फोकस होगा, जैसा कि पिछले बजट में रेल इंफ्रास्ट्रक्चर, रेल यात्री सुरक्षा, संरक्षा पर जोर दिया गया था। इसके लिए 5 हजार 141 करोड़ रुपए का बजट प्रावधान था, जिसमें सबसे अधिक रेल पटरी मेंटेनेंस कराना मुख्य रहा।
100 करोड़ की नया रायपुर रेल लाइन : रेल सेवा से नया रायपुर को जोडऩे के लिए 100 करोड़ की लागत से रेल लाइन का निर्माण शुरू किया गया। मंदिर हसौद से केंद्री तक 20 किमी रेल लाइन इस साल पूरा हो जाना था, लेकिन निर्माण पूरा नहीं हुआ। 2018 तक पूरा होने वाली इस रेल लाइन पर अभी प्लेटफार्म निर्माण ही शुरू नहीं हुआ। रेल अफसरों के अनुसार 2022 तक ट्रेन का परिचालन हो सकेगा। प्लेटफार्म का निर्माण एनआरडीए को कराना है। नया रायपुर रेल लाइन के आगे धमतरी छोटी रेल लाइन के दोहरीकरण में भी तेजी नहीं आई। तो रायपुर-बलौदाबाजार रेल सेवा से कटा हुआ है। इसका सर्वे ही हुआ।
नहीं मिला नया कोच, रैम्प भी नहीं बना : रायपुर रेल मंडल से 14 से अधिक छोटी ट्रेन 8 व 12 कोच की चल रही हैं, जिनमें लोकल यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ट्रेनों में 12 से 16 कोच बढ़ाने की योजना धरातल में नहीं उतरी। दो साल के प्रस्ताव के बाद भी रायपुर मंडल को नए कोच की खेप नहीं मिली। रायपुर स्टेशन में रैम्प जैसी बुनियादी सुविधा से हजारों यात्री वंचित हैं।
750 करोड़ रुपए का दोहरीकरण प्रोजेक्ट
रायपुर-वाल्टेयर रेल लाइन का दोहरीकरण नहीं होने कारण यात्रियों को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सिंगल लाइन की वजह से रेल परिचालन प्रभावित होता है। इस लाइन पर आज भी डीजल इंजन दौड़ रहा है, जब तक एक ट्रेन निकल नहीं जाती, तब तक दूसरी ट्रेन को रोक कर रखा जाता है। इस रेल लाइन के दोहरीकरण, विद्युतीकरण का कार्य 750 करोड़ की लागत से वर्ष 2007 से चल रहा है, लेकिन रायपुर तक पूरा नहीं हुआ। 30 किमी रेल लाइन वर्ष 2010 से रायपुर रेल डिवीजन में शामिल हैं। सिर्फ संबलपुर रेल डिवीजन का ही काम हो पाया है।
रायपुर के डीआरएम कौशल किशोर ने बताया कि अब नई रेल लाइन का निर्माण राज्य सरकार के संयुक्त एडवेंचर कंपनी के माध्यम से ही किया जाना है। रेल संरक्षा, यात्री सुरक्षा और सुविधाओं के विस्तार पर अधिक जोर है। उरकुरा फ्लाईओवर सर्वे कराने अभी एजेंसी तय नहीं हुई है। पुरानी रेल योजनाएं पूरी होने से सुविधाएं तेजी से बढ़ेंगी।