धोनी ने मानी ICC की बात, बिना ‘बलिदान बैज’ वाला ग्लव्स पहनकर उतरे

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्ल्ड कप मैच में टीम इंडिया के विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी ने आईसीसी के नियमों का पालन किया. इस मैच में वह बलिदान बैज वाला ग्लव्स पहनकर मैदान में नहीं उतरे. धोनी हरे रंग के ग्लव्स पहनकर उतरे जिस पर कोई निशान नहीं था. बता दें कि 37 साल के महेंद्र सिंह धोनी के ग्लव्स पर 'बलिदान बैज' उस समय देखा गया था जब वह 5 जून को साउथ अफ्रीका के खिलाफ वर्ल्ड कप मैच खेले रहे थे. इसके बाद उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं.

यह मामला तब तूल पकड़ गया जब धोनी ग्लव्स बदलने को तैयार नहीं थे और आईसीसी (ICC) अपने रुख से पलटना नहीं चाहती थी. इस बीच महेंद्र सिंह धोनी के विकेटकीपिंग दस्तानों पर सेना के चिह्न के बने रहने की भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की अपील को भी आईसीसी ने खारिज कर दिया था. 

आईसीसी ने साफ कर दिया कि वह दस्तानों पर 'बलिदान बैज' को बनाए रखने की अनुमति नहीं दे सकती. इसके बाद धोनी के सामने दो ही विकल्प बचे थे या तो वह अपने ग्लव्स बदल लें, या ग्लव्स से 'बलिदान बैज' को ढकने के लिए टेप लगा लें. अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) के नियम साफ कहते हैं कि‘उपकरण और कपड़ा नियामक इस बात की अनुमित नहीं देता कि किसी चीजों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीतिक, धार्मिक या नस्लीय संदेश देने के लिए हो.’

अगर धोनी रविवार को ऑस्‍ट्रेलिया के खिलाफ मैच में 'बलिदान बैज ' वाले ग्‍लव्‍स पहनते तो उन्‍हें फटकार लगाई जा सकती थी. इससे जुड़ा दूसरा अपराध 12 महीने के भीतर होता तो मैच फीस का 25% जुर्माना लगाया जाता. तीसरी बार अपराध का मतलब मैच फीस का 50% जुर्माना होता, जबकि चौथी बार ऐसा होने पर मैच फीस का 75% तक काटा जा सकता था. 

आईसीसी के महाप्रबंधक (स्ट्रेटेजिक कम्यूनिकेशंस) क्लेयर फर्लांग कह चुके हैं, 'प्रत्येक विकेटकीपिंग ग्लव्स पर दो निर्माताओं के लोगो की ही अनुमति है. निर्माताओं के लोगो के अलावा किसी अन्य विजिबल (दृश्यमान) लोगो की इजाजत नहीं है.'

इससे पहले साल 2014 में आईसीसी ने इंग्लैंड के मोइन अली को अंतरराष्ट्रीय मैचों के दौरान गाजा के समर्थन में रिस्ट बैंड पहनने के लिए चेतावनी दी थी. 2014 में मोईन अली ने भारत के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन बल्लेबाजी करते वक्त रिस्ट बैंड पहन रखा था. इस पर ‘गाजा बचाओ’ और ‘फलस्तीन को मुक्त करो’ लिखा था. इस पर आईसीसी के प्रवक्ता ने कहा था कि, ‘संस्था उपकरण और पोशाक संबंधी नियम अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान राजनीतिक, धार्मिक या नस्ली गतिविधियों से संबंधित संदेशों का प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं देते.’ आईसीसी ने कहा, ‘मोईन अली को मैच रेफरी ने कहा कि वह क्रिकेट मैदान से इतर अपने विचार रखने के लिये स्वतंत्र हैं, लेकिन मैदान पर ऐसा करने की अनुमति नहीं मिलेगी. उन्हें अंतरराष्ट्रीय मैचों के दौरान ऐसे रिस्ट बैंड नहीं पहनने का निर्देश दिया गया है.’

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