धनुष तोप भारतीय सेना में जल्द शामिल होगा, मारक क्षमता बोफोर्स से भी ज्यादा

 नई दिल्ली
 भारतीय सेना में जल्द ही स्वदेशी धनुष तोप शामिल किया जाएगा। सभी परीक्षण सफल होने के बाद अब 26 मार्च को 6 धनुष तोप सेना को सौंप दिया जाएगा। धनुष स्वदेशी तोप है जिसकी मारक क्षमता बोफोर्स से भी ज्यादा है। अगले सप्ताह ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) की जबलपुर की गन फैक्ट्री 6 धनुष तोप सेना सौंपेगी। भारतीय सेना के लिए यह गन फैक्ट्री कुल 114 धनुष तोप बनाएगी। अभी 6 धनुष के बाद दिसंबर तक करीब 18 और तोप सेना को मिलने की उम्मीद है। 2022 तक सभी 114 तोपें तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। 45 कैलिबर की 155 मिलीमीटर और ऑटोमेटिक धनुष तोप की तकनीक बोफोर्स की तकनीक पर ही आधारित है। धनुष तोप दूर तक मार कर सकती है और मुश्किल से मुश्किल रास्तों पर भी आसानी से चल सकती है। यह दिन में ही नहीं बल्कि रात में भी सटीक निशाना लगा सकती है।

सभी परीक्षण में सफल रही धनुष
धनुष को बॉर्डर एरिया में अलग-अलग हालात और मौसम में फायरिंग कर टेस्ट किया गया है। धनुष सभी परीक्षण में सफल रही। सियाचीन के ठंडे इलाकों से लेकर राजस्थान के गर्म इलाके में इसका परीक्षण सफल रहा। साल 2017 में सीबीआई ने इस तोप के निर्माण में कम गुणवत्ता वाले चीन से लाए गए पुर्जों का इस्तेमाल किए जाने के आरोपों की जांच भी शुरू की थी। हालांकि, सरकार की तरफ से संसद में बताया गया कि इससे इसकी गुणवत्ता प्रभावित नहीं हुई है। धनुष का वजन 13 टन है और एक तोप की कीमत करीब 13 करोड़ रुपये है। 

बोफोर्स से बेहतर 
धनुष तोप को देसी बोफोर्स भी कहा जाता है। हालांकि धनुष तोप मारक क्षमता सहित कई मामलों में बोफोर्स तोप से बेहतर है। जहां बोफोर्स की मारक रेंज 29 किलोमीटर है वहीं धनुष की रेंज 38 किलोमीटर है। बोफोर्स में ऑपरेशन ऑटोमेटिक नहीं हैं, जबकि धनुष तोप में एक कंप्यूटर है और यह स्वचालित है। यानी यह ऑटोमेटिक सिस्टम से खुद ही गोला लोड कर उसे दाग सकता है। लगातार कई घंटों तक फायरिंग के बाद भी धनुष का बैरल गरम नहीं होता। बोफोर्स से जहां सिर्फ पुराना गोला-बारुद ही दागा जा सकता है वहीं धनुष जहां पुराने गोला बारुद दाग सकता है वहीं नई पीढ़ी के गोला बारूद चलाने में भी सक्षम है।

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