दो शताब्दी के बाद नए सिंहासन पर विराजमान हुए ठाकुर जी, हर्षोल्लास से मना पाटोत्सव

इटावा 
शहर का वृंदावन धाम श्री राधा बल्लभ मंदिर पर रविवार को श्रद्धाभाव के साथ हर्षोल्लास से भगवान का पाटोत्सव मनाया गया। दो शताब्दी के बाद भगवान राधाबल्लभ लाल महाराज संगमरमर के सिंहासन पर जब विराजमान किए गए उस समय मंदिर परिसर भगवान के जयघोष से गुंजायमान हो उठा। जिले के अलावा बृज के संत व कई श्रद्धालु भी इस अनूठे नजारे के गवाह बने। देर रात तक भगवान के विशेष श्रंगार दर्शनों के लिए मंदिर में आस्था का सैलाब उमड़ा रहा। पुराना शहर में छैराहा पर भगवान राधाबल्लभ लाल महाराज का लगभग 500 वर्ष
पुराना प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में भगवान की काले पत्थर से बनी मनभावन प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में राधाबल्लभ संप्रदाय के अनुसार ही सभी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। राधाबल्लभ संप्रदाय के प्रवर्तक हित हरवंश महाराज के द्वारा इस संप्रदाय की स्थापना की गई थी। यह प्राचीन मंदिर जिले के ही नहीं बल्कि देश-विदेश के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का
प्रमुख केंद्र है। मंदिर के वर्तमान महंत गोस्वामी प्रकाशचंद्र महाराज के परबाबा गोपीलाल गोस्वामी, बाबा राधाबल्लभ गोस्वामी व पिताश्री दामोदरलाल गोस्वामी ठाकुर जी की सेवा किया करते थे। अब इस गद्दी पर गोस्वामी प्रकाशचंद्र महाराज सेवा कर रहे हैं।

ठाकुर जी का सिंहासन चीण की लकड़ी का बना हुआ था, जो काफी पुराना हो गया था। भक्तों के द्वारा भगवान के नए सिंहासन की योजना बनाई गई और जयपुर में मकराना संगमरमर पत्थर से भगवान का भव्य सिंहासन तैयार हुआ। रविवार को सवामन दूध, दही से बनाए गए पंचामृत से भगवान का अभिषेक वृंदावन धाम से आए रसिक संत पुरुषोत्तमदास महाराज, गोस्वामी प्रकाशचंद्र महाराज, चंद्रप्रकाश गोस्वामी, योगेशप्रभु महाराज, श्रीहित राधिका, गोपाल गोस्वामी, प्रथम शर्मा व अमित गोस्वामी ने किया। अभिषेक के बाद पूजन अर्चन पं. हरनारायण दीक्षित ने संपन्न कराया। इसके बाद भगवान को नए सिंहासन में विराजमान करने के बाद आकर्षक श्रंगार भी किया गया। महाआरती के बाद कार्यक्रम संपन्न हुआ और श्रद्धालुओं का प्रसाद भी बांटा गया।

बृज की परंपरा के अनुसार होते आयोजन

  श्री राधा बल्लभ मंदिर पर वर्षभर होने वाले सभी कार्यक्रम बृज की परंपरा के अनुसार आयोजित होते हैं। यहां पर सबसे भव्य कार्यक्रम श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का होता है। भगवान के जन्मोत्सव से लेकर छटी तक कार्यक्रमों की धूम रहती है। इसके अलावा अन्नकूट महोत्सव, बसंत पंचमी महोत्सव, शरद पूर्णिमा, रंगीली होली व अन्य कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। इन कार्यक्रमों में जिले के ही नहीं बल्कि देश व विदेश से भी काफी संख्या में श्रद्धालु शामिल होने के लिए आते हैं। जो भक्त वृंदावन नहीं पहुंच पाते हैं वह यहां पर भगवान की पूजा-अर्चना कर अपने को धन्य मानते हैं।

रसिक वृंदों की आस्था का है प्रमुख केंद्र

  जिले में भगवान श्रीकृष्ण के वैसे तो सैकड़ों छोटे व बड़े मंदिर हैं। लेकिन शहर का वृंदावन धाम श्री राधाबल्लभ मंदिर रसिक वृंदों की प्रमुख आस्था का केंद्र है। यहां पर आने वाले श्रद्धालु भगवान की भक्ती में डूब जाते हैं। चाहे वह संत महात्मा हों या फिर गृहस्थ हर कोई ठाकुर जी की भक्ति में सरावोर नजर आता है। अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, सिंगापुर, वृंदावन, मथुरा, दिल्ली, राजस्थान, मैनपुरी, कानपुर, आगरा, ग्वालियर आदि कई स्थानों से श्रद्धालु समय-समय पर अपने इष्टदेव के दीदार करने के लिए आते हैं। इटावा से बृज की सीमा लगी हुई है, इसी के कारण लोगों की आस्था भगवान राधाबल्लभ लाल से जुड़ी हुई है।

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