देहरादूनः क्लीन गंगा के लिए आत्मबोधानंद का उपवास 193 दिन बाद हुआ खत्म

देहरादून
स्वच्छ और निर्मल गंगा की मांग को लेकर ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद का लगभग 193 दिन से अनशन शनिवार को खत्म हो गया। आत्मबोधानंद का अनशन नैशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा ने समाप्त कराया। कंप्यूटर साइंस के छात्र रहे आत्मबोधानंद ने 22 वर्ष में मातृसदन के संत शिवानंदजी से प्रेरणा लेकर संन्यास लिया था। उन्होंने गंगा नदी के मुक्त प्रवाह के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। ये उनका 10वां उपवास था। स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के अभियान को आगे बढ़ाते हुए वह उत्तराखंड के हरिद्वार मातृसदन में उपवास पर बैठे थे।

नैशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा की ओर से अनशन खत्म कराने से पहले मातृ सदन के संत शिवानंद को पत्र लिखा गया। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि गंगा के तट पर खनन के मामले में समय समय पर जिला प्रशासन को निर्देश दिए जाते रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी अवैध खनन पर नजर रखने के लिए कमिटी बनाने को कहा गया है।

पीएम को पत्र लिखकर कहा था, पानी भी नहीं पिएंगे
स्वामी आत्मबोधानंद ने अप्रैल में पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने जल ग्रहण त्यागने के फैसले को बताया था। केरल के रहने वाले आत्मबोधानंद ने बताया था कि गंगा की स्वच्छता के लिए उनकी सारी उम्मीदें अब खत्म हो चुकी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पवित्र नदी के लिए वह अपनी जान तक देने से नहीं डरते। पीएम के साथ उन्होंने यह पत्र संयुक्त राष्ट्र महासचिव को भी भेजा था।

'दिवंगत संत जीडी अग्रवाल से किए वादे नहीं किए पूरे'
आत्मबोधानंद की गंगा बाढ़ के मैदानों में खनन और वनों की कटाई पर रोक लगाने की मांग है। नदी के हित में निर्णय लेने के लिए एक स्वायत्त गंगा भक्त परिषद के गठन और नदी के संरक्षण के लिए गंगा अधिनियम को लागू करने की भी मांग की है। आत्मबोधानंद ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि उसने दिवंगत संत जीडी अग्रवाल से किए गए वादे को भी पूरा नहीं किया।

बता दें कि केंद्र सरकार ने हाइड्रो पॉवर प्रॉजेक्ट्स नहीं बनाने और खनन रोकने का वादा अग्रवाल से किया था लेकिन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नमामि गंगे के दिशा-निर्देशों के खिलाफ गंगा के बाढ़ मैदानों में खनन लगातार जारी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *