देश भर में भोपाल की शान बना ‘साथ साथ रोज़ा इफ्तार’
भोपाल
देश में भोपाल का नाम सुनते ही यहां के नवाबी दौर और लोगों की शीरीं ज़बां का मंज़र सबके सामने होता है। आपस में भाईचारा और एक दूसरे को इज्ज़त देने वाले इस शहर में यह तहज़ीब आज भी कायम है। शहर में त्यौहार किसी भी मज़हब का हो उसे मनाने के लिए कोई किसी का धर्म नहीं पूछता। सब एक साथ शामिल होकर त्योहारों की रौनक बनते हैं। भोपाल में 2017 से 'साथ -साथ रोज़ा इफ्तार पार्टी ' का आयोजन हो रहा है। रमज़ान में 2000 से ज्यादा लोग प्रतिदिन इसमें शामिल होते हैं और एक साथ बैठकर इफ्तार करते हैं। इसमें हर तबके और धर्म के लोग शामिल होते हैं। 'साथ -साथ रोज़ा इफ्तार पार्टी ' इस दौर में मोहब्बत और आपसी मेल -भाव का बड़ा उदाहरण है।
भोपाल के ऐतिहासिक इक़बाल मैदान में साथ साथ रोज़ा इफ्तार का आयोजन किया जाता है। इसकी शुरुआत भोपाल के आरजू भाई, इकबाल बैग, असद बैग ने की थी। इनकी टीम में 60 सदस्य हैं जो पूरे कार्यक्रम की देख रेख करते हैं। इनके अलावा मशहूर फैशन डिज़ाइनर मुमताज़ खान, कॉर्पोरेट स्किल ट्रेनर गुलरेज़ भी मिलकर यहां वालंटियर के तौर पर मैनेजमेंट देखते हैं। फिर क्या था काफिला बढ़ता गया और लोग जुड़ते गए। यह लोग रोज़ा इफ्तार से देश और दुनिया भर में अमन और प्यार मोहब्बत का पैगाम भी दे रहे हैं।
साथ साथ रोज़ा इफ्तार के टीम मेंबर गुलरेज़ खान बताते हैं कि हमने जब इस की शुरूआत की थी तब हमारे पास कोई बहुत बड़ी टीम नहीं थी। लेकिन हमारे इरादे बहुत मज़बूत थे। इफ्तार में सभी धर्म के लोग शामिल होते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि हम किसी को यहां शामिल होने की दावत नहीं देते। लोग खुद अपनी खुशी से हमारी इस पहल में साथ आते हैं। इस साल काफी बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए हैं। इस बार रमज़ान में करीब 2 हज़ार से अधिक लोग रोज़ इफ्तार करते हैं।
जब हमने उनसे पूछा कि इतना बड़ा आयोजन करने में काफी खाना पीने की चीज़े उपयोग में आती हैं। उसके बाद लोग चले जाते हैं वह कैसे साफ सफाई करते हैं। गुलरेज़ ने बताया कि अब हमारी टीम में काफी सदस्य हैं। उन्होंने कहा कि साफ सफाई के लिए खास तरह के इंतज़ाम किए गए हैं। सभी टीम मेंमबर एक एक टेबल से साफ साफई करते हैं। जिससे यहां कोई भी गंदगी नहीं होती। यह काम महज़ 20 से 30 मिनट में पूरा कर दिया जाता है। ताकि किसी आने जाने वाले शख्स को किसी तरह की समस्या न हो।
मुमताज़ खान कहते हैं कि इस काम को करने का मकसद किसी भी तरह की पब्लिसिटी हासिल करना नहीं था। यह काम सिर्फ लोगों की खिदमत की नियत से किया जा रहा है। आज हमारे इस कार्यक्रम में अब तक सभी धर्म लोग और धर्म गुरू भी शामिल हो चुके है। हमारी पहल सिर्फ आपसी भाईचारे को बढ़ावा देना और एक दूसरे को बेहतर तरह से समझने की कोशिश करना है। यह तीसरा साल है इस काम को करते हुए। अब लोग इफ्तार के लिए दूर दूर से सिर्फ मोहब्बत में आते हैं। हमारी ओर से किसी को कोई खास तरहा का बुलावा नहीं दिया जाता। क्योंकि यह काम खिदमत का है इसलिए अपनी मर्जी से ही लोग इसमें शामिल होते हैं।