देखने का नजरिया बदलें, खुश रहेंगे – गौरव कृष्ण

रायपुर
लोगों के  देखने का नजरिया बदल गया है,अपना नहीं वे दूसरों का देखते हैं। अधिकांश समय इसी में बीत जाता है। इसलिए अपने दुखों से कम दूसरे के सुखों से ज्यादा दुखी रहते हैं। यदि जीवन में सुखी और खुश रहना चाहते हैं तो देखने का नजरिया बदलना होगा। जीवन की किसी भी दहलीज पर आप ईश्वर को पा सकते हैं पर पाने की चेष्टा ही नहीं करनी है दृढ़ संकल्प, विश्वास और प्रेम का होना भी जरूरी है।

कमल विहार माहेश्वरी भवन में श्रीमद्भागवत कथा में आचार्य गौरव कृष्ण ने बताया कि आज दूसरों की खुशी, धन, वैभव, तरक्की को देखकर लोग ईर्ष्या करते हैं कि आखिर उसे ही यह सब क्यों मिल रहा है? उनका मन यदि अशांत हैं तो खुद के दुखों के कारण नहीं बल्कि दूसरों की खुशी देखकर हैं। जीवन में शांति चाहिए तो पहले आपको अपने देखने का नजरिया बदलना होगा। उनका अनुसरण करना होगा जिन्होंने अच्छे कार्यों और मेहनत से तरक्की पायी है, आगे बढ़े हैं। एक बार अपने से नीचे वालों को भी देख लें कि उनके पास क्या है और यह संतोष करें कि जो उनके पास हैं जो है वह सब कुछ है और इसके लिए प्रभु का शुक्रिया व्यक्त करें। देखें कैसे खुश रहेंगे।

आम आदमी इस उधेड़बुन में रहता है कि हमें किसी ईश्वर को पाने की अनुभूति कब होगी। इसके लिए आयु सीमा का कोई बंधन नहीं हैं। जब ध्रुव को 5 और नंद बाबा को 60 वर्ष की उम्र में प्राप्त हो सकते हैं तो हमें क्यों नहीं? मनुष्य खुद अपनी कमियों से उन्हे नहीं पाता है। जो यह सोंचते हैं कि वृद्धावस्था में भगवान का भजन कीर्तन करेंगे तो उनकी यह सोच गलत है। जब ध्यान आता है तब जीवन के जाने का समय आ जाता है और तब इलाज-उपचार, मै परिवार में मन चले जाता है। मन को कामनाओं से परे रखना होगा। यदि यह सोंच ले कि बगैर मेहनत व प्रयास के उनके दुखों का हरण करने राम व कृष्ण आ जायेंगे तो पूरी तरह बेमानी है। जगतपति पर एक बार भरोसा बना लो तो सब कुछ मिल जायेगा। फिर कहीं भटकने व किसी से मांगने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

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