दूर दराज के आरोपियों को समन जारी करने से पहले जांच कराएं : सुप्रीम कोर्ट

 नई दिल्ली।
 
सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि यह आवश्यक है कि दूर दराज और अधिकारक्षेत्र से बाहर निवास करने वालों के खिलाफ आपराधिक शिकायतों में समन जारी करने से पहले मजिस्ट्रेट उचित जांच करवाएं। सीआरपीसी की धारा 202 के तहत की गई जांच में मजिस्ट्रेट को जब लगे कि कार्यवाही करने के लिए पर्याप्त आधार हैं, तो ही धारा 204 के तहत समन जारी करें, अन्यथा नहीं। 

जस्टिस आर भानुमति और आर सुभाष रेड्डी की पीठ ने यह आदेश दिया। पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेटों को यह देखना चाहिए कि दूर दराज रहने वाले के खिलाफ ऐसी झूठी शिकायतें उन्हें परेशान करने का जरिया न बनें। कोर्ट ने कहा कि 2005 में सीआरपीसी की धारा 202 में संशोधन करने का उद्देश्य ही यही था। इसमें मजिस्ट्रेट के लिए आवश्यक किया गया है कि कोर्ट के अधिकारक्षेत्र से बाहर रहने वाले व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत पर संज्ञान लेने से पहले उचित जांच करवाएं। यह जांच मजिस्ट्रेट पुलिस से, स्वयं या ऐसे व्यक्ति से करवाई जा सकती है जिसे वह उचित समझें।

मौजूदा परिदृश्य में कोर्ट का यह फैसला बहुत मौजूं है। क्योंकि हाल ही में कुछ नेताओं/अभिनेताओं के खिलाफ बयान देने पर मजिस्ट्रेटों के यहां उन लोगों के खिलाफ आपराधिक शिकायतें की गई हैं जो अन्य राज्यों के हैं और इन अदालतों के अधिकारक्षेत्र से बाहर निवास करते हैं।

एक मामले में कोलकाता की एक कंपनी की ओर से सहायक कंपनी के कर्मियों के खिलाफ कुछ दस्तावेज चुराने का आरोप लगाकर धारा 200 के तहत मजिस्ट्रेट के यहां आपराधिक शिकायत दी। शीर्ष कोर्ट ने पाया कि मामले पर संज्ञान लेने के लिए मजिस्ट्रेट ने शिकायतकर्ता और कंपनी के एक कर्मी की गवाही को आधार बनाया और कहा कि इस मामले में प्रथम दृष्टया केस बनता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में न तो शिकायतकर्ता के और न ही गवाह के बयान में अपराध के घटित होने का विवरण था। इनमें यह नहीं बताया गया कि दस्तावेज कैसे और कब चोरी हुए। शिकायत में यह भी नहीं था चोरी का समय क्या था और दस्तावेज या उनकी फोटो कापी उनके पास कैसे पहुंची। ऐसे में मजिस्ट्रेट का समन जारी करना उचित नहीं है। 

सीआरपीसी धारा 202
जब मजिस्ट्रेट के समक्ष धारा 200 के तहत शिकायत की जाती है तो वह समन जारी करने से पहले धारा 202 के तहत उसकी जांच करवाता है। यह जांच तब आवश्यक होती है जब आरोपित व्यक्ति इस कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से बाहर का हो। इसके बाद धारा 204 के तहत समन जारी किया जाता है।

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