दुनिया के बीचोंबीच एक ऐसी वीरान जगह, जहां है ‘अजीबोगरीब म्यूजियम’

करीब तीस साल पहले याक-आंद्रे इस्टेल ने अपनी पत्नी से कहा, 'हम रेगिस्तान में बैठकर सोचेंगे कि आगे क्या करना है।' ये कोई सनसनीखेज प्रस्ताव तो था नहीं, लेकिन इस्टेल की पत्नी फेलिशिया ली को अपने शौहर की अजीबो-गरीब आदतों का बखूबी अंदाजा था। साल 1971 में इस्टेल अपनी उस वक्त होने वाली पत्नी ली को लेकर दो इंजन वाले हवाई जहाज से दुनिया का चक्कर लगाने निकल पड़े थे। उस विमान में शेवर्ले कार के बराबर भी जगह नहीं थी। उससे भी पहले इस्टेल दुनिया को इस बात के लिए पुरजोर तरीके से राजी करने में जुटे हुए थे कि वो उड़ते विमान से छलांग लगाएं!

पचास के दशक में याक-आंद्रे इस्टेल अमेरिकी मरीन के तौर पर कोरियाई युद्ध में हिस्सा ले चुके थे। जब वो जंग के मोर्चे से लौटे, तो उन्होंने पैराशूट की मदद से ऐसा तरीका निकाला कि कोई भी उड़ते हुए विमान से छलांग लगा ले। उस दौर में 2500 फुट की ऊंचाई से छलांग लगाने का ये सनक भरा और खुदकुशी वाला कदम कहा जाता था। मगर, आज वही जुनून स्काईडाइविंग के जोखिम भरे, मगर बहुत रोमांचक खेल का नाम है। इस्टेल की पत्नी फेलिशिया ली, स्पोर्ट्स इलस्ट्रेटेड पत्रिका की रिपोर्टर थीं। तभी, उनकी मुलाकात होने वाले पति इस्टेल से हुई। उस वक्त तक इस्टेल अमेरिका भर में पैराशूट जंपिंग के जन्मदाता के तौर पर मशहूर हो चुके थे। अपनी पत्रिका के लिए इस्टेल का इंटरव्यू करने के लिए फेलिशिया उनसे मिलीं, तो उन्हें दिल दे बैठीं। आखिर फिलिशिया को भी तो जोखिम भरे रोमांचक कदम उठाने में लुत्फ आता था।

इस्टेल कहते हैं, 'अगर मैं अपनी बीवी फेलिशिया से कहूं कि कल हम मंगल ग्रह पर जा रहे हैं, तो वो पूछेगी कि क्या-क्या सामान पैक करना है।' ली और इस्टेल के साहसिक काम करने के इसी जुनून ने 1980 में उन्हें नए मिशन पर जाने का रास्ता दिखाया। 1980 के दशक में ये जोड़ा कैलिफोर्निया के दक्षिणी-पूर्वी इलाके में स्थित शहर युमा के पास बसने आ गया। ये जगह एरिजोना से गुजरने वाले अमेरिकी हाइवे इंटरस्टेट 8 के करीब था। यहां पर याक-आंद्रे इस्टेल ने कई दशक पहले करीब 2600 एकड़ जमीन पहले से ही खरीदी हुई थी। ये जगह सोनोरन रेगिस्तान के दायरे में आती है।

इस जगह पर मौजूद पानी के सोते के अलावा दिलचस्पी की कोई चीज नहीं थी, लेकिन इस्टेल और उनकी पत्नी को ये शांत और खूबसूरत जगह बहुत पसंद आई। बालू के टीलों और एक पार्क के सिवा यहां कुछ नहीं था। यानी, इस्टेल और उनकी पत्नी ने एक वीरान रेगिस्तान में अपना बसेरा बनाया था। 1985 में इस्टेल ने कैलिफोर्निया के स्थानीय प्रशासन को अपनी जमीन में विश्व का आधिकारिक केंद्रीय ठिकाना बनाने के लिए मना लिया। अब धरती गोल है, तो किसी भी ठिकाने को कहा जा सकता है कि वो दुनिया का केंद्र है। लेकिन, इस्टेल ने अपनी जमीन पर स्मारक बनाकर इसे दुनिया का आधिकारिक केंद्रीय स्थान घोषित कर दिया।

अब ऐसे मील के पत्थर के आस-पास कोई शहर नहीं, तो कम से कम एक कस्बा तो होना चाहिए था। तब, इस्टेल ने फेलिसिटी नाम का शहर बसाने का फैसला किया। यहां कुल 15 लोग रहते हैं। उन सब ने मिलकर इस्टेल को शहर का मेयर भी चुन लिया है, लेकिन इस्टेल अपने इस तुगलकी शहर का मेयर बनकर ही संतुष्ट नहीं हुए। उनका इरादा ग्रेनाइट से एक ऐसा स्मारक बनाने का था, जिसे दूसरी दुनिया से आने वाले लोग भी इंसानियत की डायरी समझें। तो, इस्टेल ने सबसे पहले कोरियाई युद्ध के दौरान के अपने साथियों के नाम खुदवाने के लिए ग्रेनाइट का एक स्मारक बनवाया।

इसके अलावा इस्टेल ने बीच रेगिस्तान में जहां पढ़ाई की थी वहां का स्मारक यानी प्रिंसटन यूनिवर्सिटी का मेमोरियल भी बनवाया। इसके बाद इस्टेल ने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस से भागे अपने परिवार की बातें ग्रेनाइट पर खुदवा दीं। इस्टेल के पिता फ्रांस के नेता चार्ल्स डे गॉल के सलाहकार रहे थे। उनकी मां, विश्व युद्ध के दौरान स्वयंसेवक रही थीं। असल में याक-आंद्रे इस्टेल का इरादा कोई मामूली स्मारक बनाने का नहीं था। वो रेगिस्तान में एक भव्य स्मारक बनाना चाहते थे। उन्होंने इंजीनियरों से ग्रेनाइट का ऐसा स्मारक बनाने को कहा जो साल 6000 साल तक चल सके।

साल 1991 में ये तिकोना स्मारक बन कर तैयार हो गया। ये करीब 100 फुट लंबा, 4.5 फुट ऊंचा और ग्रेनाइट के 60 पैनलों को मिलाकर बना था। इसके भीतर लोहे का कवच लगाया गया था, जिसे काफी गहराई तक गाड़ा गया था। इसके तैयार होने के बाद इस्टेल ने तय किया कि वो कोरियाई युद्ध में मारे गए अपने साथियों की याद में स्मारक बनवाएंगे। इसके बाद तीसरा, चौथा और पांचवां स्मारक बनाया गया। आज सोनोरम के रेगिस्तान में इस्टेल के बनवाए ग्रेनाइट के 20 स्मारक खड़े हैं। इसे 'द म्यूजियम ऑफ हिस्ट्री इन ग्रेनाइट' का नाम दिया गया है। इस्टेल कहते हैं कि जब मंगलवासियों को धरती के बारे में जानना होगा, तो, वो यहीं आएंगे।

ग्रेनाइट के स्मारकों पर इस्टेल ने दुनिया की तमाम बातों को उकेर रखा है। इनमें बिग बैंग थ्योरी से लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा तक का जिक्र है। यहां पर आकर आप हिंदुत्व भी सीख सकते हैं और यहां से आप जीसस, एट्टिला और पाइथागोरस के बारे में भी जानकारी ले सकते हैं। यहां पर अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का मशहूर गेटिसबर्ग भाषण भी दर्ज है और चांद तक के सफर को भी तफ्सील से बयां कर दिया गया है। यहां पर आतंकवाद के बारे में भी अंकित किया गया है। इसके अलावा मानवता के इतिहास के कुछ पन्ने भी यहां ग्रेनाइट की चट्टानों पर दर्ज किए गए हैं।

इस स्मारक के लिए रिसर्च का काम फेलिशिया करती हैं। वो ऑक्सफोर्ड, ब्रिटैनिका और लारोस की किताबों की मदद से जानकारियां जुटाती हैं। फिर इस्टेल उसे लिखते हैं और उसके बाद दोनों मिलकर आखिरी ड्राफ्ट तैयार करते हैं। जब लिखने का काम पूरा हो जाता है तो मजदूर उसे ग्रेनाइट पर उकेरते हैं। कई बार रेगिस्तान की गर्मी से बचने के लिए उकेरने का काम रात में होता है और ग्रेनाइट पर केवल शब्द नहीं लिखे जाते। उन्हें इलस्ट्रेशन के जरिए विस्तार से समझाने का काम भी होता है। अब छोटे से स्मारक में मानवता का पूरा इतिहास तो दर्ज नहीं हो सकता। तो, इस्टेल कई बार कुछ चीजों को जोड़ कर स्मारक के कुछ हिस्सों की थीम तय करते हैं। जैसे कि हम्मूराबी की संहिता और मशहूर टेन कमांडमेंट्स को कानून के शुरुआती विचार शीर्षक से दर्ज किया गया है।

इस्टेल की निजी दिलचस्पी की चीजों जैसे पैराशूटिंग के बारे में विस्तार से लिखा गया है। कई शिलालेख तो मजेदार हैं। जैसे कि 1809 में अमेरिकी राष्ट्रपति जेम्स मेडिसन ने एक बीयर मंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया था। इसके अलावा एक जगह टीवी रिमोट के म्यूट बटन के बारे में लिखा गया है, क्योंकि इस्टेल इसे बहुत बड़ा आविष्कार मानते हैं। वो, बातें दर्ज करने के दौरान तथ्यों का बहुत ख्याल रखते हैं। एकतरफा बातें नहीं दर्ज की जाती हैं।

म्यूजियम देखने आने वाले यहां सर्दियों के दिनों में आना पसंद करते हैं, जब तापमान कम होता है, यानी नवंबर से मार्च महीने के बीच। लोग यहां के रेस्टोरेंट में बैठकर सुस्ता भी सकते हैं। एक वीडियो पैनल पर इस मेमोरियल के बारे में शॉर्ट फिल्म भी सैलानियों के लिए चलाई जाती है। इस्टेल की जमीन पर कई अजीबो-गरीब चीजें भी देखने को मिलती हैं। जैसे कि एफिल टॉवर की असली सीढ़ियों का एक हिस्सा या फिर रोम के सिस्टीन चैपल में माइकल एंजेलो के बनाए बुत आर्म ऑफ गॉड की नकल। यहां पर 21 फुट ऊंचा गुलाबी रंग का ग्रेनाइट का खोखला पिरामिड भी है। इसी के भीतर एक प्लेट पर इस जगह को पृथ्वी का केंद्र बताया गया है।

दो से तीन डॉलर में आप पूरे स्मारक का चक्कर लगा सकते हैं। यहां तस्वीरें खिंचवाने के लिए आपको पैसे देने होंगे। इस रेगिस्तानी स्मारक की सबसे ऊंची इमारत सफेद रंग का चर्च है। इस्टेल और उनकी पत्नी इस स्मारक के पास ही बने अपने खुले से मकान में रहते हैं। 90 साल की उम्र में भी इस्टेल के हौसले में कोई कमी नहीं आई है। वो अभी यहां और भी बहुत कुछ तामीर करना चाहते हैं। अभी भी ग्रेनाइट के खाली पैनल पड़े हुए हैं, जिस पर बहुत सी बातें लिखी जानी बाकी हैं।

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