यहां दूल्हा रहता है घर में और बहन करती है दुल्हन से शादी

गांधीनगर
आपने शादियों में दिलचस्प किस्से तो सुने होंगे। भारत में शदियों में रीति रिवाजों का बड़ा महत्व है। यहां शादियों में सबके अपने अलग-अलग रीति रिवाज है। भारत में हर जगह पर अलग-अलग तरीके से रीति-रिवाजों को निभाया जाता है। लेकिन आज हम आपको रीति रिवाज से जुडा हुआ एक किस्सा बताने जा रहे है जिसे सुनकर आप हैरान हो जाएंगे। 

हमसभी में शायद ही ऐसा कोई इंसान होगा जिसने शादी नहीं देखी हो। शादी तभी संपन्न मानी जाती है जब दूल्हा-दुल्हन फेरे लेते है। 

लेकिन गुजरात के आदिवासी इलाकों में शादी के दौरान दूल्हा दुल्हन को नहीं लेकर आता बल्कि दूल्हे की बहन दुल्हन को बिहाकर घर लेकर आती है। इस इलाके में दूल्हे को अपनी शादी में जाने की अनुमति नहीं होती।

जी हां, ये सच है। यहां दूल्हा अपनी शादी के दिन अपने घर में रहता है और दूल्हे की बहन बारात में जाकर दूल्हे की सारी रस्में पूरी करती है। इतना ही नहीं अगर दूल्हे की बहन नहीं होती तो परिवार की कोई कुंवारी कन्य दूल्हे की ओर से बारात लेकर दुल्हन के घर जाती है और सारे रीति-रिवाज से शादी कर दुल्हन को अपनी घर वापस लाती है। 

हालांकि दूल्हे को पूरी तरह तैयार किया जाता है। उसके हाथों में मेहंदी लगती है। उसे साफे के साथ शेरवानी पहनाई जाती है और हाथ में तलवार दी जाती है, बस उसे घर से बाहर नहीं जाने दिया जाता। सुरखेड़ा गांव के कांजीभाई राठवा कहते हैं, ‘आम तौर पर सारी पारंपरिक रस्में जो दूल्हा निभाता है वह उसकी बहन करती है। यहां तक कि ‘मंगल फेरे’ भी बहन ही लेती है।’ इतना ही नहीं उन्होंने ये भी बताया कि इस परंपरा का पालन यहां के केवल तीन गांवों में ही होता है। 

ऐसा माना जाता है कि अगर हम इसका पालन न करें तो कुछ न कुछ अशुभ जरूर घटित होता है। सुरखेड़ा गांव के मुखिया रामसिंहभाई राठवा ने ये भी बताया कि हमने कई बार इस परंपरा को तोडऩे की कोशिश भी की। जब भी लोगों ने इस परंपरा को अस्वीकार कर इसकी अनदेखी की है उनका भारी नुकसान हुआ है। या तो शादी टूट जाती है या फिर कोई अनहोनी हो जाती है।

पंडितों का कहना है कि यह अनोखी परंपरा आदिवासी संस्कृति की पहचान है। यह एक लोककथा का हिस्सा है जिसका पालन अनंतकाल से चला आ रहा है। इस कथा के मुताबिक, तीन गांवों-सुरखेड़ा, सानदा और अंबल के ग्राम देवता कुंवारे हैं। इसलिए उन्हें सम्मान देने के लिए दूल्हे घर पर ही रहते हैं। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से दूल्हे सुरक्षित रहते हैं।

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