दिव्‍यांगों के मन से कोरोना का डर निकालेगा सीआरसी 

गोरखपुर 
कोरोना का खौफ लोगों के सिर चढ़कर बोल रहा है। इस बीमारी का अप्रत्यक्ष असर दिव्यांगों पर पड़ रहा है। दिव्यांगों की ट्रेनिंग बंद है। बीमारी के डर से परिजन उन्हें बाहर नहीं निकाल रहे हैं। इसके कारण दिव्यांग मानसिक तौर पर बीमार होते जा रहे हैं।

ऐसे दिव्यांगों के लिए अब इलाज का केन्द्र बनेगा समेकित क्षेत्रीय निदान केन्द्र (सीआरसी)। केन्द्र सरकार के सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्रालय द्वारा संचालित सीआरसी को दिव्यांग और उनके परिजनों को कोरोना से खौफ से बचाने की जिम्मेदारी मिली है। इसके लिए सीआरसी में एक काउंसलिंग सेंटर स्थापित किया जा रहा है। इस सेंटर के इंचार्ज मनोरोग विशेषज्ञ को बनाया गया है। सेंटर में तीन मनोरोग विशेषज्ञ तैनात होंगे। यह कार्यालय दिवस में काम करेगा। 

होगा अपनी तरह का पहला सेंटर
दिव्यांगों को किसी एक बीमारी से बचाने के लिए सरकार ने पहली बार ऐसा अभिनव प्रयोग किया है। यह सेंटर प्रदेश में पहली बार गोरखपुर में खोला जा रहा है। यह सेंटर ऑनलाइन होगा। इस सेंटर में दिव्यांग या उसके परिजन फोन से संपर्क कर सकेंगे। इसके लिए टोल फ्री नंबर जारी होंगे। दिव्यांग या उसके परिजन घर से ही सेंटर को अपनी परेशानियां बता सकेंगे। काउंसलर की टीम उस समस्याओं का निदान करेंगी। इस सेंटर से सूबे के सभी जिलों के दिव्यांगजन कल्याण अधिकारी भी जुड़े रहेंगे।

बोले निदेशक
प्रदेश में दो सीआरसी हैं। ऐसे में गोरखपुर को इसकी जिम्मेदारी मिलना गर्व की बात है। अभी एक मनोरोग विशेषज्ञ और दो सहायक तैनात किए गए हैं। दो और काउंसलर की तैनाती की जाएगी। टोल फ्री नंबर आवंटन के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। जल्द ही इस सेंटर को शुरू कर दिया जाएगा।
डॉ. रमेश कुमार पांडेय, निदेशक, सीआरसी

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