दिल्‍ली-एनसीआर का हाल दुनिया के 167 देशों से बुरा, अकेले राजधानी में 166 देशों से ज्‍यादा केस

 नई दिल्‍ली
देश की राजधानी और आसपास के इलाकों को मिला दें तो कोरोना वायरस के इतने मामले हो गए हैं कि 167 देश पीछे छूट जाएं। हैरान होने की जरूरत नहीं। जॉन हॉ‍पकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़े यही बताते हैं। दिल्‍ली-एनसीआर में 23 जून तक, कोविड-19 से मरने वालों की संख्‍या 2,584 थी जो 166 देशों से ज्‍यादा है। इन 160 से ज्‍यादा देशों में सिर्फ छोटे-छोटे देश ही नहीं, दुनिया में चौथा सबसे ज्‍यादा आबादी वाला मुल्‍क, इंडोनेशिया भी शामिल है। इसके अलावा जापान, इजिप्‍ट भी दिल्‍ली-एनसीआर से पीछे हैं। गुरुवार सुबह तक, 81,792 मामलों के साथ दिल्‍ली-एनसीआर अब चीन को पीछे छोड़ सकता है, जहां से 84,673 केस आए हैं।

अगर अलग देश होता दिल्‍ली-एनसीआर तो…
अगर दिल्‍ली-एनसीआर का इलाका अलग देश होता तो कन्‍फर्म केसेज के मामले में दुनिया का 22वां सबसे प्रभावित देश होता। मौतों के मामले में यह 23वां सबसे ज्‍यादा प्रभावित देश साबित होता। पूरे इलाके में से दिल्‍ली में केसेज और मौतों की संख्‍या सबसे ज्‍यादा है। कुल मामलों के 86.1% मामले अकेले दिल्‍ली से हैं। इसके बाद गुरुग्राम, फरीदाबाद, गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद और सोनीपत का नंबर आता है। मौतों के मामले में दिल्‍ली और भी बुरे हाल में है। पूरे NCR इलाके में कोविड-19 से हुई कुल मौतों में से 91.5 दिल्‍ली से हैं। इसके बाद गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर और सोनीपत हैं।
 
62 देश ऐसे जहां 1000 से कम मामले
दिल्‍ली में ही 70,390 मामले आ चुके हैं जो 166 देशों से ज्‍यादा हैं। दुनिया के 164 देश ऐसे हैं जहां दिल्‍ली से कम लोग मारे गए हैं। अब तक, 62 देश ऐसे हैं जहां एक हजार से कम कोरोना केसेज सामने आए हैं। इनमें भूटान, जमैका, ताइवान, वियतनाम जैसे देश शामिल हैं। न्‍यूजीलैंड, क्‍यूबा, श्रीलंका, थाइलैंड समेत 44 देश ऐसे जहां एक हजार से 5 हजार कोरोना केस हैं। इसके अलावा 32 देश ऐसे हैं जहां 20 हजार से कम मामले हैं। इनमें ऑस्‍ट्रेलिया, नेपाल, मलेशिया, जापान जैसे देश शामिल हैं।
 
50 हजार से एक लाख केस वाले दुनिया में 10 देश
केसेज बढ़ने के बावजूद, 21 देश ऐसे रहे जिन्‍होंने टोटल कोरोना मामले 20 हजार से 50 हजार के बीच काबू करने में सफलता पाई। इनमें सिंगापुर, स्विट्जरलैंड, आयरलैंड और UAE जैसे देश शामिल हैं। चीन और नीदरलैंड्स समेत 10 देश ऐसे हैं जहां 50 हजार से लेकर एक लाख के बीच मामले सामने आए हैं। एक से पांच लाख मामलों वाले देशों की सूची में 16 देश हैं जिनमें भारत, यूनाइटेड किंगडम और स्‍पेन शामिल हैं। अब तक अमेरिका, ब्राजील और रूस में 5 लाख से ज्‍यादा केस मिल चुके हैं।
 
डेवलपमेंट के लिहाज से ये 13 वैक्‍सीन सबसे ऐडवांस्‍ड हैं।1 – यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्‍सफर्ड और AstraZeneca Plc. (फाइनल स्‍टेज)2 – बीजिंग इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी और कैनसिनो बायोलॉजिकल इंक (स्‍टेज 2)3 – नैशनल इंस्‍टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्‍फेक्शियस डिजीजेज (US) और Moderna Inc (स्‍टेज 2)4 – वुहान इंस्‍टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्‍ट्स और साइनोफार्म (स्‍टेज 1/2)5 – बीजिंग इंस्‍टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रॉडक्‍ट्स/साइनोफार्म (स्‍टेज 1/2)6 – साइनोवैक (स्‍टेज 1/2)7 – बायोएनटेक/फोसन फार्मा/फिजर प्‍लैटफॉर्म आरएनए (स्‍टेज 1/2)8 – नोवावैक्‍स (स्‍टेज 1/2)9 – चाइनीज एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज (स्‍टेज 1)10 – इनोवियो फार्मास्‍यूटिकल्‍स (स्‍टेज 1)11 – गेमलेया रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (स्‍टेज 1)12 – इम्‍पीरियल कॉलेज, लदन (स्‍टेज 1)13 – क्‍योरवैक (स्‍टेज 1)
ऑक्‍सफर्ड वैक्‍सीन ट्रायल के लास्‍ट स्‍टेज में पहुंची
यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्‍सफर्ड और AstraZeneca Plc. की एक्‍सपेरिमेंट वैक्‍सीन क्लिनिकल ट्रायल के फाइनल स्‍टेज में पहुंच गई है। वह दुनिया की पहली ऐसी वैक्‍सीन है जो इस स्‍टेज में पहुंची है। ChAdOx1 nCov-19 वैक्‍सीन अब 10,260 लोगों को दी जाएगी। इस वैक्‍सीन का ट्रायल यूनाइेड किंगडम के अलावा साउथ अफ्रीका और ब्राजील में भी हो रहा है। सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया ने भारत के लिए बड़े पैमाने पर वैक्‍सीन बनाने के लिए 100 मिलियन डॉलर इनवेस्‍ट किए हैं। यह वैक्‍सीन ChAdOx1 वायरस से बनी है जो सामान्‍य सर्दी देने वाले वायरस का एक कमजोर रूप है। इसे जेनेटिकली बदला गया है इसलिए यह इंसानों को इन्‍फेक्‍ट नहीं करता। अगर ट्रायल सफल रहा तो ग्रुप को उम्‍मीद है कि वैक्‍सीन इस साल के आखिर तक लॉन्‍च हो जाएगी।
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *