दिल्ली में 19-20 के फेर में कांग्रेस

 
नई दिल्ली

प्रदेश कांग्रेस की अध्यक्ष शीला दीक्षित द्वारा अब दिल्ली में अपने दम पर दिल्ली में लोकसभा की सभी साटों पर चुनाव लडऩे के पीछे उनकी दूरगामी सोच और परिपक्कता बताई जा रही है। चर्चा है यदि आज शर्तों के आधार पर किसी वजह से आम आदमी पार्टी के साथ समझौता कर भी लिया जाता कि 2020 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में फिर कांग्रेस से गठबंधन करने की बात पर जोर देते। उस समय कांग्रेस के लिए काफी परेशानी हो सकती थी। यह माना जा रहा है कि अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा के चुनाव को ध्यान में रखते हुए ही शीला दीक्षित ने अपनी राय पार्टी हाईकमान को समझाने में सफल हुईं हैं। 

कांग्रेस की मदद से सरकार बनाने में सफल हो सके थे केजरीवाल 
याद रहे कि वर्ष 2014 में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद जब कांग्रेस कुल 8 सीट ही हासिल कर सकी थी और आप पार्टी भी सरकार बनाने में नाकाम रही थी, तो कांग्रेस की मदद से अरविंद केजरीवाल सरकार बनाने में सफल हो सके थे, लेकिन सरकार बनने के बाद वह केवल 49 दिन ही चल पाई थी। तब केजरीवाल ने कांग्रेस के ऊपर तरह-तरह के आरोप लगाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि कांग्रेस के विधायकों ने उन्हें काम नहीं करने दिया, जिसका कांग्रेस की ओर से काफी विरोध किया गया था। संभवत कांग्रेस उन यादों को आज तक भूली नहीं है। 

दिल्ली विधानसभा के चुनाव पर है कांग्रेस की नजर
यदि आज कांग्रेस आप के साथ गठबंधन कर भी लेती तो यह क्या जरूरी है कि फिर उसी तरह की पुनर्रावृति नहीं होगी क्योंकि पहले इस तरह की चर्चाएं थी कि आम आदमी पार्टी का मन कांग्रेस को लोकसभा की केवल 2 सीटें देने का है, जो कांग्रेस को मंजूर नहीं था। इसके साथ ही असली नजर प्रदेश कांग्रेस को अगले साल होने वाले दिल्ली विधानसभा के चुनाव पर है। उसकी सोच है यदि लोकसभा चुनाव के दौरान गठबंधन कर लिया तो केजरीवाल अगले साल विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस को 70 में से केवल 15 साटों से अधिक नहीं देगी। इस वजह से कांग्रेस का कार्यकर्ता बुरी तरह से हताश और निराश हो जाएगा, जिसका खामियाजा आने वाले समय में पार्टी हो उठाना भारी पड़ जाएगा। 

फूंक-फूंककर कदम उठा रही है कांग्रेस
असल में यही बात सोचकर प्रदेश कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम उठा रही है। केवल इतना ही नहीं यदि किसी वजह से दिल्ली में गठबंधन हो भी जाता है, तो भविष्य में आप हरियाणा और पंजाब में भी गठबंधन करने पर जोर दे सकती है और एक तरीके से वह कांग्रेस के लिए मजबूरी हो जाएगी। कांग्रेस का मानना है कि दिल्ली लोकसभा के चुनाव में यदि पार्टी जमीन से जुड़े नेताओं को प्रत्याशी बनाती है तो भाजपा को मात दे सकते हैं। कांग्रेस के जो कार्यकर्ता गत चुनाव में छिटककर अन्य दलों की ओर चले गए थे, वे वापिस आ जाएंगे। कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक को पाने में पूरी तरह से सफल होगी। शीला ने कहा कि हमें आप के साथ गठबंधन नहीं करना था। यह फैसला पूरी कांग्रेस का फैसला है। 

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