दिल्ली में पिछली बार से कम वोटिंग, किसको होगा फायदा, किसको पहुंचेगी चोट?

 
नई दिल्ली 

दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों पर रविवार को वोटिंग संपन्न हो गई। दिल्ली में वोटर टर्नआउट 60.21 प्रतिशत रहा, जो 2014 के मुकाबले करीब 5 प्रतिशत कम है। चुनाव अधिकारियों के मुताबिक भीषण गर्मी की वजह से वोटिंग में यह कमी आई है। दिल्ली में बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है। पूरी तरह पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़े बीजेपी उम्मीदवारों को कांग्रेस और AAP में वोटों के विभाजन से फायदे की उम्मीद है लेकिन वाकई मोदी विरोधी वोटों का बंटवारा हुआ या नहीं, इसका सिर्फ कयास ही लगाया जा सकता है। 
 
2009 के मुकाबले ज्यादा वोटर टर्नआउट 
राष्ट्रीय राजधानी में इस बार 60.21 प्रतिशत रहा। पिछली बार यानी 2014 में दिल्लीवालों ने दिल खोलकर वोटिंग की थी। कुल 65.1 प्रतिशत वोटरों ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। वहीं, 2009 में 51.84 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। 
 
सुबह वोटिंग में सुस्ती दिखी लेकिन शाम तक यह बढ़कर 60 प्रतिशत से ऊपर पहुंच गया। नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में सबसे ज्यादा 63.5 प्रतिशत वोटिंग हुई। 62.6 प्रतिशत वोटिंग के साथ दूसरे नंबर पर चांदनी चौक सीट रही। ईस्ट दिल्ली में 61.9%, वेस्ट दिल्ली में 60.6 प्रतिशत, नॉर्थ वेस्ट में 58.9%, साउथ दिल्ली में 57.3% और नई दिल्ली में सबसे कम 56.4% वोटिंग हुई।

किसके साथ गए मुस्लिम? 
रमजान की वजह से माना जा रहा था कि मुस्लिम वोटर सुबह-सुबह या फिर शाम 4-5 बजे के बाद वोटिंग करेंगे। लेकिन हुआ इसके उलटा। सुबह में वोट डालने वाले मुस्लिम मतदाताओं की तादाद कम रही। 11 बजे के बाद पोलिंग बूथों पर मुस्लिम मतदाता ज्यादा दिखना शुरू हुए। मुस्लिम वोटर मुख्य तौर पर कांग्रेस के साथ जाते दिखे। हालांकि, AAP को भी उनका समर्थन मिला। इसके पीछे तर्क यह था कि कांग्रेस ही 'राष्ट्रीय स्तर पर विभाजनकारी राजनीति' को पराजित कर सकती है। 
 
नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में शीला दीक्षित और प्रियंका गांधी के रोडशो से मुस्लिम मतों का कांग्रेस के पक्ष में झुकाव बढ़ा। वैसे लोग भी कांग्रेस के साथ जाते दिखे जो AAP के काम से संतुष्ट थे। जैसा कि सीलमपुर के रहने वाले अब्दुल अफनान (24) कहते हैं, 'आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में बहुत सारे अच्छे काम किए हैं लेकिन यह लोकल चुनाव नहीं है। मैंने उस पार्टी को अपना वोट देना पसंद किया जो राष्ट्रीय स्तर पर छाप छोड़ सके।' 

ग्रामीण वोटर किसके साथ? 
दिल्ली के शहरी वोटरों के मुकाबले ग्रामीण वोटरों ने खुलकर वोटिंग दी। नॉर्थ वेस्ट दिल्ली के कराला, माजरा डबास, घेवरा और कांझवला जैसे गांवों में कड़ी दोपहर के वक्त भी अच्छी खासी वोटिंग हुई। यहां वोटर मुख्य तौर पर बीजेपी के हंसराज हंस और AAP के गुग्गन सिंह के बीच बंटे हुए दिखे। 

कराला के एक बूथ के बाहर अपनी बारी का इंतजार कर रहे देवेंदर चधरी ने कहा कि वोट पीएम मोदी के नाम पर डाले जा रहे हैं और गांव वाले उनके काम से खुश हैं। उन्होंने कहा, 'छोटे-छोटे मुद्दे तो हमेशा रहेंगे जैसे हर परिवार में रहते हैं। हालांकि, हमें बड़ी तस्वीर देखनी है।' 

तमाम ग्रामीण बूथों पर वोट देने में महिलाएं पुरुषों से आगे रहीं। पड़ोसियों के साथ बैठीं घेवरा की ओमवती ने बताया कि उनमें से कई को परिवार के पुरुषों ने बीजेपी के पक्ष में वोट देने को कहा था। उन्होंने बताया, 'पिछली बार हमने आम आदमी पार्टी को वोट दिया था क्योंकि उसने संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा किया था। हालांकि, कुछ भी नहीं किया गया और हम बीजेपी की तरफ मुड़ गए।' 

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