दिल्ली को प्रदूषित करती है पाकिस्तान, ईरान और नेपाल की आबोहवा  

नई दिल्ली
वैज्ञानिकों ने कम से कम तीन ऐसे कॉरिडोर की पहचान की है, जिनके जरिए से सर्दी में दिल्ली की हवा प्रदूषित होती है। ये नेपाल, ईरान और पाकिस्तान हैं। ऐसा दावा एक स्टडी में किया गया है। राजधानी दिल्ली को लेकर की गई इस स्टडी को 15 शोधकर्ताओं की टीम ने किया है, जोकि आईआईटी कानपुर, आईआईटी दिल्ली, स्विट्जरलैंड के वायुमंडलीय रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला आदि के हैं। आईआईटी कानपुर में सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रमुख और स्टडी के लेखकों में से एक एस.एन. त्रिपाठी ने कहा, 'धारणा है कि दिल्ली में प्रदूषण उत्तर-पश्चिम दिशा से आता है, लेकिन हमने पाया है कि प्रदूषक सर्दियों के दौरान तीन अलग-अलग कॉरिडोर से दिल्ली में प्रवेश करते हैं। उत्तर पश्चिम कॉरडोर पाकिस्तान, पंजाब और हरियाणा से प्रदूषित हवा लाता है तो नॉर्थ-ईस्ट कॉरिडोर उत्तर प्रदेश से प्रदूषक लाता है। वहीं, नेपाल और उत्तर प्रदेश के पॉल्युटेंट ईस्ट कॉरिडोर से आते हैं।'

TERI और ARAI द्वारा वर्ष 2018 में की गई एक स्टडी से पता चला था कि दिल्ली का 64% प्रदूषण शहर के बाहर से आता है। लगभग 34% एनसीआर के भीतर के क्षेत्रों से आता है और 18% उत्तर पश्चिमी भारत से आता है। उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, सीसा, तांबा और कैडमियम जैसी धातुएं पूर्वी कॉरिडोर के माध्यम से आने वाली हवाओं में उच्च मात्रा में पाई जाती थीं, जो यह बताती थीं कि वहां सीसा आधारित उद्योग हो सकते हैं। उत्तर पश्चिम क्षेत्र से आने वाली हवाओं में सेलेनियम, ब्रोमीन और क्लोरीन प्रमुख थे। हालांकि, सेलेनियम और ब्रोमीन उद्योगों और दवाओं व रसायनों की वजह से भी आ सकते हैं। इसके अलावा क्लोरीन ईंट-भट्टों, कचरे के जलने और कारखानों से आ सकता है। वैज्ञानिकों ने कम से कम 35 ऐसे तत्वों का पता लगाया, जिनमें से 26 तत्व बाकी की तुलना में अधिक मात्रा में पाए गए। इन 26 तत्वों ने मोटे कणों के कुल द्रव्यमान का लगभग एक चौथाई भाग था, जिसे पीएम 10 के रूप में जाना जाता है।

आईआईटी दिल्ली में सेंटर फॉर एटमॉसफेरिक स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर दिलीप गांगुली कहते हैं कि हमने हर 30 मिनट पर डाटा एकत्र कर रियल टाइम एनालिसिस किया। इससे हमें पता चला कि दिल्ली में रोजाना दो बार प्रदूषण पीक पर जाता है। जहां पहला पीक सुबह 3 बजे से लेकर सुबह 8 बजे के बीच आता है तो वहीं, दूसरा पीक रात 10 बजे के आसपास आता है। यह स्टडी साल 2018 और 2019 के दो विंटर सेशन में आयोजित की गई। इसमें आईआईटी-दिल्ली परिसर से नमूने एकत्रित किए गए थे। वहीं, स्टडी को अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के लिए स्वीकार कर लिया गया है और जल्द ही प्रकाशित की जाएगी।
 

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