दिग्विजय सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ी, खुला पत्र लिखकर अपनी पीड़ा जाहिर की

भोपाल
ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल होने और उनके समर्थक विधायकों के इस्तीफे के बाद अल्पमत सरकार के गिरने के बाद दिग्विजय सिंह ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। दिग्विजय सिंह ने एक खुला पत्र लिखकर अपनी पीड़ा जाहिर की है। पत्र में उन्होंने लिखा कि  सिंधिया उस वक़्त भाजपा में गए, जब भाजपा खुलकर आरएसएस के असली एजेंडा को लागू करने के लिए देश को पूरी तरह बांट रही है। उन्होंने लिखा कि कुछ लोग यह कह रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस में उचित पद और सम्मान मिलने की संभावना समाप्त हो गई थी, इसलिए वो भाजपा में चले गए। लेकिन ये गलत है। यदि वे प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष बनना चाहते थे,तो ये पद उन्हें 2013 में ही आॅफर हुआ था और तब उन्होंने केंद्र में मंत्री बने रहना पसंद किया था।

दिग्विजय सिंह ने लिखा कि कांग्रेस की राजनीति केवल सत्ता की राजनीति नहीं है। आज कांग्रेस की विचारधारा के सामने संघ की विचारधारा है। ये दोनों विचारधाराएँ भारत के अलग अलग स्वरूप की कल्पना करती है। सिंधिया का भाजपा में जाना यही साबित करता है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं और समर्थकों के संघर्ष और वैचारिक प्रतिबद्धता को वो केवल अपनी निजी सत्ता के लिए इस्तेमाल करना चाहते थे। जब तक कांग्रेस में सत्ता की गारंटी थी, कांग्रेस में रहे और जब ये गारंटी कमजोर हुईं तो भाजपा में चले गए।

उन्होंने लिखा कि सिंधिया ने कांग्रेस अध्यक्ष को लिखे अपने त्याग पत्र में कहा है कि वे जनता की सेवा करने के लिए कांग्रेस छोड़ रहे हैं। लेकिन जनता की सेवा करने के लिए कांग्रेस को छोड़ने की जरूरत आखिर क्यों पड़ी? वो कांग्रेस के महामंत्री थे। राज्यों में पार्टी को जन सेवा के लायक बनाने के लिए यह सर्वोच्च पद है। इस पद पर रह कर कांग्रेस को मजबूत करने में उनकी रुचि क्यों नहीं रही?

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