दस सीटों पर उम्मीदवारों के खिलाफ भारी विरोध, बीजेपी नेता नहीं दे रहे साथ

भोपाल
मध्य प्रदेश में अब तक बीजेपी ने 21 उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। उम्मीदवार ताबड़तोड़ प्रचार में जुटे हैं। लेकिन उनके सामने अपने से ही  चुनौती बनकर खड़े हो गए हैं। इनमें बीजेपी से तीन वर्तमान सांसद और कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं जिन्होंने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने से मना कर दिया है। जबकि इनमें से कुछ ने तो पार्टी उम्मीदवारों के खिलाफ ही प्रचार करने का ऐलान किया है। 

दरअसल, इस बार संघ के सर्वे के अनुसार बीजेपी ने कई वर्तमान सांसदों के टिकट बदले हैं। जिसका कई सीटों पर विरोध हो रहा है। शहडोल लोकसभा सीट पर वर्तमान सांसद ज्ञान सिंह भी काफी खफा हैं। पार्टी ने उनका टिकट काट दिया है। उनकी जगह कांग्रेस से बीजेपी में शामलि हुईं हिमाद्री को उम्मीदवार बनाया है। ज्ञान सिंह ने पहल बगावती तेवर में निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। लेकिन बाद में वह पीछे हट गए यह कहत हुए कि उनके पास चुनाव लड़ने के लिए पर्याप्त राशि नहीं है। हालांकि, उन्होंने आपना नाराजगी कायम रखते हुए हिमाद्री के समर्थन में चुनाव प्रचार करनेे स मना कर दिया है। उनके अलावा बालाघाट से बीजेपी सांसद बोध सिंह भगत ने निर्दलीय पर्चा भर पार्टी से इस्तीफा भी दे दिया है। वह बीजेपी के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। 

इस संबंध में जब ज्ञान सिंह से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि मैं पार्टी के फैसले को स्वीकार नहीं कर सकता। मेरे नाम पर पार्टी द्वारा विचार नहीं किया गया। इसलिए मैं शहडोल लोकसभा क्षेत्र में पार्टी के लिए प्रचार नहीं करूंगा। बालाघाट से बीजेपी के पूर्व सांसद बोध सिंह भगत ने कहा कि मैंने बीजेपी उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला लिया है। अगर मैं इस सीट से चुनाव नहीं लड़ता तो यह सुनिश्चित करता कि भाजपा उम्मीदवार इस चुनाव में धूल खाएं। 

सूत्रों के मुताबिक मुरैना के पूर्व महापौर और सांसद अशोक अर्गल ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वह बीजेपी से मुरैना के लिए टिकट मांग रहे थे लेकिन उनकी जगह पार्टी ने नरेंद्र सिंह तोमर को उम्मीदवार बनाया है। इसलिए वह भी पार्टी से खफा हैं। यही नहीं बीजेपी मंदसौर, सिधी और भिंड सीट पर भी विरोध का सामना कर रही है। यहां पार्टी कार्यकर्तओं में घोषित उम्मीदवार के लिए प्रचार करने से मना कर दिया है। डैमेज कंट्रोल करने के लिए पार्टी को वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारना पड़ा है। इनको चुनाव प्रचार की कमान सौंपी गई है। इनमें से कई नेता दूसरे क्षेत्रों में भेजे जाने की मांग कर रहे हैं

 मालवा क्षेत्र के एक वरिष्ठ किसान नेता ने कहा कि हम 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान पार्टी के उम्मीदवार का समर्थन करते रहे हैं। हालांकि, उम्मीदवार के खराब प्रदर्शन ने कई कार्यकर्ताओं को इस चुनाव के दौरान चुनाव प्रक्रिया से हटने के लिए मजबूर किया है। हमने पार्टी से हमें अन्य निर्वाचन क्षेत्रों में काम करने का आग्रह किया है। सूत्रों के मुाबिक बीजेपी को लगभग दस सीटों पर बागियों का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए पार्टी ने वरिष्ठ नेताओंं को मोर्चा संभालने औ असंतुष्टों को शांत करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि कोई भी वरिष्ठ नेता आधिकारिक पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव न लड़ें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *