दस्तावेज चोरी होने का दावा कर क्या फंस गई मोदी सरकार? : राफेल डील

 
नई दिल्ली 

चुनाव से पहले फ्रांस से खरीदे जा रहे लड़ाकू विमान राफेल का मामला एक बार फिर गर्मा गया है. दिसंबर 2018 को आए सुप्रीम कोर्ट के जिस फैसले को क्लीन चिट बताते हुए भारतीय जनता पार्टी और केंद्र की मोदी सरकार कांग्रेस के आरोपों को झूठा बता रही थी, उसी कोर्ट ने बुधवार को दस्तावेज चोरी होने की केंद्र की दलील पर रक्षा मंत्रालय से हलफनामा मांग लिया है. इसे आधार बनाते हुए कांग्रेस ने फिर मोदी सरकार को घेर लिया और आरोप लगाया कि सरकार राफेल डील में फंस रही थी, इसलिए दस्तावेज चोरी का दावा कर केस पर पर्दा डालने की कोशिश की जा रही है.

अब सवाल ये है कि क्या वाकई इस मसले पर मोदी सरकार फंस गई है या बैकफुट पर आ गई है. ये सवाल इसलिए क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने जब रक्षा मंत्रालय प्रमुख से चोरी के संबंध में हलफनामा मांगा तो केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल के.के वेणुगोपाल ने हलफनामा पेश करने पर सहमति जता दी. जबकि दूसरी तरफ सुनवाई के दौरान वेणुगोपाल ने यह भी बताया कि दस्तावेज चोरी होने के संबंध में कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई है.

बुधवार को कोर्ट में क्या हुआ
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर, 2018 को राफेल की खरीद को चुनौती देने वाली याचिकाएं खारिज करने का आदेश दिया था, जिसको चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं. इस पर सुनवाई के दौरान बुधवार को अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने बताया कि लड़ाकू विमानों की खरीद से जुड़े दस्तावेज रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए हैं और इसकी जांच जारी है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि दस्तावेजों की चोरी के मामले में अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई है. वेणुगोपाल के यह कहते ही इस इस बिंदु पर तीखी बहस होने लगी. 

पीठ ने उनसे पूछा कि इस मामले में क्या कार्रवाई की गई है. तब उन्होंने जांच की बात कही. इस दौरान पीठ ने वेणुगोपाल से पूछा कि क्या राफेल सौदे में भ्रष्टाचार हुआ है, क्या सरकार गोपनीयता कानून की आड़ लेगी? मैं (सीजेआई) यह नहीं कह रहा कि ऐसा हुआ है लेकिन यदि ऐसा है तो क्या सरकार इस कानून की आड़ ले सकती है?

दरअसल, कोर्ट ने यह टिप्पणी उस दलील पर दी जिसमें वेणुगोपाल ने कहा था कि राफेल सौदे से संबंधित दस्तावेज सार्वजनिक करने वाले सरकारी गोपनीयता कानून के तहत और न्यायालय की अवमानना के दोषी हैं. उन्होंने यह भी कहा कि प्रशांत भूषण जिन दस्तावेजों को अपनी याचिका का आधार बना रहे हैं, वे रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए हैं. वेणुगोपाल ने कोर्ट से यह भी कहा कि राफेल मामला रक्षा खरीद से संबंधित है जिसकी न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती है. इस तर्क पर पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा नहीं उठता क्योंकि इसमें गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया है.

फंस गई सरकार- राहुल गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस बहस ने एक बार फिर मोदी सरकार को घेरने का मौका मिल दे दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि दस्तवेजों के 'चोरी' होने की बात कहना दरअसल सबूत नष्ट करने और मामले पर पर्दा डालने की कोशिश है. कांग्रेस अध्यक्ष ने दावा किया, 'राफेल मामले की महत्वपूर्ण फाइलों से वह फंस रहे थे. अब सरकार ने कहा कि ये फाइलें चोरी हो गई हैं. यह सबूत को नष्ट करना और मामले पर पर्दा डालना है.' यह दावा करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि अब राफेल केस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं.

 सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और खुद अपनी ओर से बहस शुरू करते हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि यदि इन महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया नहीं गया होता तो कोर्ट ने इस मामले में एफआईआर दर्ज करने और जांच कराने के लिए दायर याचिकाएं खारिज नहीं की होतीं. फिलहाल, कोर्ट ने केस की सुनवाई के लिए 14 मार्च की तारीख तय की है. लेकिन दस्तावेज चोरी होने के दावे पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद केंद्र सरकार ने हलफनामा देने पर सहमति जता दी है. अब सरकार हलफनामा देती है तो रक्षा मंत्रालय से दस्तावेज चोरी होने के उसके दावे पर मुहर तो लग जाएगी, लेकिन मंत्रालय से इतने महत्वपूर्ण रक्षा सौदे के दस्तावेज चोरी होना एक बड़ी चूक या साजिश की बहस को भी जन्म दे सकती है. जबकि कांग्रेस ने इस 'चोरी' को ही सबूत नष्ट करने की कोशिश करार दे दिया है. यानी सरकार का यह हलफनामा भी कांग्रेस के लिए बड़ा हथियार साबित हो सकता है.

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