दक्षिण से दिल्ली का रास्ता तलाश रही हैं बीएसपी सुप्रीमो मायावती
लखनऊ
बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) दक्षिण भारत में दलितों और अतिपिछड़ों के जरिए दिल्ली का रास्ता नापने की तैयारी में है। यही वजह है कि पहली बार बीएसपी लोकसभा के चुनावों में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना को छोड़कर दक्षिण भारत के सभी राज्यों की सभी सीटों पर बिना किसी गठबंधन चुनाव लड़ रही है। इसके अलावा, बीएसपी ओडिशा की सभी विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े कर रही है।
दक्षिण से प्रचार का शुभारंभ
जब पूरे देश की प्रमुख पार्टियों ने लोकसभा चुनावों के प्रचार का अभियान उत्तर भारत खासकर उत्तर प्रदेश से किया, तो मायावती ने अपने प्रचार की शुरुआत ओडिशा के भुवनेश्वर से की। उनकी ताबड़तोड़ रैलियां दक्षिण भारत में हो रही हैं। बुधवार को उनकी रैली विजयवाड़ा में हुई, वहीं गुरुवार को मायावती तिरुपति के अलावा हैदराबाद में रैलियां करेंगी। 10 अप्रैल को मैसूर में मायावती की रैली है। उसके बाद दक्षिण भारत के कई अन्य प्रमुख शहरों में भी रैलियां होनी हैं।
दर्जा बरकरार रखने का दबाव
पिछली बार भी बीएसपी ने दक्षिण भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हिस्सा तो लिया था, लेकिन सभी सीटों पर चुनाव नहीं लड़ी थी। इस क्षेत्र में बीएसपी दलितों और अति पिछड़ों के साथ ईसाइयों और मुस्लिम वोटों को साध कर अपनी सीटों और वोट प्रतिशत को बढ़ाने की पूरी तैयारी कर रही है। इस के साथ बीएसपी की कोशिश राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा बरकरार रखने की भी है।
वोट प्रतिशत बढ़ाने की कोशिश
दक्षिण भारत में बीएसपी की मजबूत नुमाइंदगी करने वाले कर्नाटक सरकार के पूर्व मंत्री और पार्टी से कर्नाटक प्रदेश अध्यक्ष एम. महेश के मुताबिक, अभी तक दक्षिण भारत में दलितों और अतिपिछड़ों के वोट पर कांग्रेस का कब्जा था। कांग्रेस ने हमेशा इनको वोट बैंक समझा, लेकिन बीएसपी ने जब यहां पर एंट्री की, तो लोगों को लगा कि उनके हक की बात करने वाला भी कोई है। पिछले लोकसभा चुनाव में बीएसपी को डेढ़ प्रतिशत मिले वोटों से उत्साहित होकर इस बार कर्नाटक की सभी 28 लोक सभा सीटों पर पार्टी मैदान में है।
महेश कहते हैं कि कर्नाटक में 18 फीसदी दलित वोट हैं जबकि 5 फीसदी के करीब अनुसूचित जनजाति के वोटर हैं। पिछली बार दलितों का 80 फीसदी वोट पड़ा। इसको देखते हुए बीएसपी नेतृत्व ने तय किया कि वह इस बार सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। 2018 के विधानसभा चुनावों में बीएसपी ने कर्नाटक में जेडीएस से गठबंधन कर चुनाव लड़ा और मंत्रिमंडल में शामिल हुई थी। विधानसभा चुनाव के परिणामों से पार्टी उत्साहित है।