थरूर ने कहा कि कैब पारित होने का मतलब गांधी के विचारों पर जिन्ना की जीत

तिरुवनंतपुरम
कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता और केरल के सांसद शशि थरूर ने कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) के पारित होने का मतलब महात्मा गांधी के विचारों पर मोहम्मद अली जिन्ना के विचारों की जीत होगा। उन्‍होंने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत 'पाकिस्‍तान का हिंदुत्‍व संस्‍करण' बन जाएगा। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार 'एक समुदाय' अलग करना चाहती है।

शशि थरूर ने कहा कि धर्म के आधार पर नागरिकता देने से भारत का स्तर गिरकर ‘पाकिस्तान का हिन्दुत्व संस्करण' हो जाएगा। उन्‍होंने कहा, 'यदि नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) पारित होता है तो मुझे विश्वास है कि उच्चतम न्यायालय संविधान के मूल सिद्धांतों के ‘खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन’ को अनुमति नहीं देगा।'

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार 'एक समुदाय' अलग करना चाहती है और उसके सदस्‍यों को उसी तरह की परिस्थितियों के शिकार अन्‍य समुदायों की तरह से राजनीतिक शरण देने से इनकार कर रही है। उन्‍होंने कहा कि यह केवल स्‍वार्थपूर्ण राजनीतिक कदम है ताकि भारत से एक समुदाय विशेष को अलग थलग किया जा सके और उन्‍हें नागरिकता से वंचित किया जा सके।

'जिन्‍ना के विचारों का गांधी के विचारों पर जीत'
थरूर ने कहा कि यह हमें पाकिस्‍तान के हिंदुत्‍व संस्‍करण में सीमित कर देगा। उन्‍होंने कहा, 'इस बिल का पारित होना जिन्‍ना के विचारों का महात्‍मा गांधी के विचारों पर निर्णायक जीत होगी।' बता दें कि सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा में पेश करने जा रहे हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को ही नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी, हालांकि कई विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं।

अमित शाह सहित बीजेपी के शीर्ष नेताओं ने इस विषय पर राजनीतिक दलों और पूर्वोत्तर के नागरिक समूहों से व्यापक चर्चा की है। इन नेताओं ने उनकी चिंताओं को दूर करने की कोशिश की। अगर नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के इस शीतकालीन सत्र में दोनों सदनों से पास हुआ तो फिर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा। उधर, आरएसएस का कहना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून बनने पर गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने में किसी तरह का ‘खेल’ नहीं होने दिया जाएगा।

'दो से तीन करोड़ अल्पसंख्यकों को इससे लाभ'
इसके बाद पड़ोसी तीनों देशों से 31 दिसंबर 2014 तक भारत में आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता मिल सकेगी। संघ का मानना है कि बिल के कानून का रूप लेने के करीब सालभर तक नागरिकता देने का काम पूरा हो जाएगा। करीब दो से तीन करोड़ अल्पसंख्यकों को इससे लाभ मिलेगा। मगर इसमें किसी तरह की चूक से रोकने के लिए उन सामाजिक संगठनों की मदद ली जाएगी जो इन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं।

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