तीसरे मोर्चे पर भी चर्चा, तेजस्वी यादव को महागठबंधन का नेता मानने के लिए तैयार नहीं जीतन राम मांझी

 पटना 
कोरोना के बढ़ते संक्रमण के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव की आहट सुनाई देने लगी है। राजनीतिक दल सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए वर्चुअर रैली के जरिए मतदाताओं को साधने में लगे हैं। हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने वर्चुअल रैली से चुनावी अभियान की एक तरह से शुरुआत कर दी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी लगातार जेडीयू कार्यकर्ताओं को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित कर रहे हैं। सत्ता पक्ष जहां चुनावी तैयारियों में जुट चुका है, वहीं विपक्षी दलों के महागठबंधन में लगातार मतभेद सामने आ रहे हैं।

बिहार में इस साल के अंत में होने वाले संभावित विधानसभा चुनाव को लेकर अब सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीति बनाने में जुटे हैं वहीं विपक्षी दलों के महागठबंधन में शामिल दलों में किचकिच प्रारंभ हो गई है, जिससे गठबंधन में दरार काफी चौड़ी होती जा रही है। महागठबंधन के नेता भी अब खुलकर इसके लिए आरजेडी के तानाशाही रवैये को दोष दे रहे हैं। दीगर बात है कि यही नेता यह भी कहते हैं कि लालू प्रसाद अगर होते तो यह समस्या नहीं होती। 

तेजस्वी को नेता मानने के लिए मांझी तैयार नहीं
कोरोना संक्रमण के इस दौर में बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां प्रारंभ है। आरजेडी के नेता और लालू प्रसाद यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव को आरजेडी ने मुख्यमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया है, लेकिन हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने साफ तौर पर कह दिया है कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के नेता नहीं है।

इस बीच, महागठबंधन में शामिल छोटे दलों हम के अध्यक्ष मांझी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी पिछले कुछ दिनों के अंदर दो बार बैठक कर चुके हैं। ये सभी नेता महागठबंधन में समन्वय समिति बनाकर कोई भी निर्णय लेने की मांग कर रहे हैं। लेकिन आरजेडी अपनी जिद पर अड़ी है। 

क्या RJD अन्य दलों की नहीं सुनती?
महागठबंधन के कई नेताओं ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर कहते हैं कि आरजेडी कई बार निर्णय बिना किसी अन्य दलों की सूचना के लेते रहा है। मांझी ने भी कई मौके पर इसे लेकर विरोध जता चुके हैं। मांझी ने यहां तक कह दिया कि तेजस्वी अपने सामने किसी को समझते ही नहीं। 

इधर, हम के प्रवक्ता दानिश रिजवान सीधे तो कुछ नहीं कहते हैं, लेकिन इतना जरूर कहते हैं, “मुख्यमंत्री के चेहरे पर कॉर्डिनेशन कमेटी (समन्वय समिति) फैसला करेगी। आरजेडी के कुछ तानाशाह नेताओं की वजह से अभी तक महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमेटी का गठन नहीं किया गया है। विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का चेहरा कौन होगा यह कॉर्डिनेशन कमेटी में ही तय होगा।” न्होंने सीधे तौर पर तेजस्वी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन कहा कि आरजेडी के वरिष्ठ नेताओं के कारण महागठबंधन में दरार है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर लालू प्रसाद होते, तो यह स्थिति उत्पन्न नहीं होती। 

बिहार में तीसरे मोर्चे की भी सुगबुगाहट
इधर, सूत्रों का कहना है कि ये छोटे दल कांग्रेस के बड़े नेताओं के संपर्क साध रहे हैं। कहा जा रहा है कि महागठबंधन में अगर बात नहीं बनी तो कई दल मिलकर अलग मोर्चा बना सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं की बात जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव, वामपंथी दलों और वंचित समाज पार्टी जैसे दलों से हो रही है। वंचित समाज पार्टी के उपाध्यक्ष और चुनाव अभियान समिति के चेयरमैन ललित मोहन सिंह स्वीकार करते हैं कि कई छोटे दल उनके संपर्क में है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बिहार में होने वाले चुनाव में छोटे दल मिलकर लड़ेंगे, जिसके लिए बात चल रही है। 

RJD और कांग्रेस ने किया टूट से इनकार
इधर, कांग्रेस भी महागठबंधन में टूट को नकार रही है। युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ललन कुमार ने कहा कि महागठबंधन एकजुट है। उन्होंने स्वीकार किया कि गठबंधन में टूट का लाभ भाजपा, जदयू को होगा। उन्होंने कहा कि आज सभी को एकजुट रहने की जरूरत है। आरजेडी भी टूट से इंकार करते हुए कहा कि महागठबंधन एकजुट है। आरजेडी के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कहते हैं, “समय आने पर सबकुछ तय हो जाएगा। आरजेडी ने बड़ा दल होने के नाते मुख्यमंत्री चेहरा के रूप में तेजस्वी यादव के नाम की घोषणा कर चुकी है।” 

उन्होंने महागठबंधन के तीन दलों के बैठक के संबंध में पूछे जाने पर कहा कि चुनाव का साल है सभी दल बैठक करते हैं। समन्वय समिति के संबंध में तिवारी कहते हैं कि पहले भी सामूहिक रूप से निर्णय होता था, तभी तो पूर्व मुख्यमंत्री मांझी जी के पुत्र को विधान परिषद भेजा गया।

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