ताबड़तोड़ बैठकें, महाराष्ट्र की राजनीति में यह हलचल क्यों?

मुंबई
महाराष्ट्र में कोरोना को लेकर किए गए लॉकडाउन के बीच एकबार फिर से सियासी हलचल शुरू हो गई है। एक ओर जहां महाराष्ट्र के पूर्व सीएम और बीजेपी नेता नारायण राणे ने सोमवार को राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से उनके आवास पर मुलाकात कर राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की। वहीं दूसरी ओर उद्धव ठाकरे के घर पर एक गुप्त बैठक हुई। इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई है कि क्या महाराष्ट्र में महाविकास आघाडी सरकार खतरे में है? या फिर केंद्र सरकार कोई बड़ा फैसला लेने के तैयारी में है?

जानकारी के मुताबिक, महाराष्ट्र का सत्ता का केंद्र बने मातोश्री (उद्धव ठाकरे के घर) पर, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार, सीएम उद्धव ठाकरे और शिवसेना नेता संजय राऊत के बीच सोमवार शाम गुप्त बैठक हुई। यह बैठक महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि लंबे अंतराल के बाद एनसीपी सुप्रीमो मातोश्री पहुंचे थे। हैरान करने वाली बात यह है कि विधानसभा चुनाव नतीजों के बाद 36 दिन तक चले सत्ता के संघर्ष के बीच एक बार भी शरद पवार मातोश्री नहीं गए, और इस वक्त में उनका मातोश्री जाना कई सवाल खड़े कर रहा है।

गवर्नर से मिले शरद पवार
इससे पहले सोमवार को ही राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार को मिलने के लिए राजभवन बुलाया। उनके साथ एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल भी थे। 20 मिनट तक की मुलाकात के बाद बाहर निकलकर प्रफुल्ल पटेल ने कहा, 'राज्यपाल के बुलावे पर हम यहां आए। हमारे बीच कोई राजनीतिक चर्चा नहीं हुई।' हालांकि, प्रफुल्ल पटेल का यह बयान लोगों के गले नहीं उतरा कि अगर राजनीतिक चर्चा नहीं करनी थी, तो फिर राज्यपाल ने शरद पवार को मिलने क्यों बुलाया था?

कुछ तो पक रहा है
पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम को देखते हुए महाराष्ट्र की राजनीति में दखल रखने वालों को यह लग रहा है कि राज्य की राजनीति में कुछ तो पक रहा है। राज्य की महा विकास आघाडी सरकार खासकर शिवसेना और राज्यपाल के बीच बढ़ते टकराव और राज्य में कोरोना वायरस के अनियंत्रित होते जाने की खबरों के बीच राष्ट्रपति शासन की चर्चा के चलते शरद पवार का राज्यपाल से मिलने जाना कई तरह की राजनीतिक चर्चाओं को को जन्म दे रहा है। इसकी एक बड़ी वजह शरद पवार के साथ एनसीपी नेता प्रफुल पटेल का राजभवन जाना भी है। क्योंकि, प्रफुल्ल पटेल अपने गुजराती कनेक्शन की वजह से केंद्र की राजनीति में अमित शाह और नरेंद्र मोदी के भी करीबी माने जाते हैं।

3 नेताओं की मंत्रणा
सूत्रों के मुताबिक करीब 20 दिन पहले देवेंद्र फडणवीस, चंद्रकांत पाटील और अमित शाह के बीच एक बार मंत्रणा हो चुकी है। इसके बाद ही बीजेपी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को टारगेट करना शुरू किया है। सरकार के खिलाफ राज्य भर में बीजेपी का आंदोलन, बीजेपी नेताओं का सोशल मीडिया पर शिवसेना के खिलाफ आक्रामक होना, देवेंद्र फडणवीस का सीधे उद्धव ठाकरे को टारगेट करना। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल का रविवार को उद्धव ठाकरे पर सीधा हमला बोलना और एनसीपी के खिलाफ मौन रहना किसी स्ट्रेटेजी का भाग हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों की नजर में सरकार और राजभवन के बीच विभिन्न मुद्दों पर लगातार बढ़ते जा रहे टकराव के मद्देनजर यह सामान्य संकेत नहीं है।

अटकलें ये भी हैं
मुंबई और दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि बीजेपी जल्द से जल्द कुछ भी करके महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी चाहती है। फिर चाहे वह शिवसेना के साथ हो या शिवसेना के बगैर। दिल्ली के सूत्रों का यह भी कहना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी की सत्ता का रास्ता राजभवन से ही निकलेगा। इसीलिए बीजेपी लगातार राज्य में इस तरह का माहौल बनाने की कोशिश कर रही है, जिसमें राजभवन राजनीति के केंद्र में रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *