तम्बू के नीचे रहने मजबूर है अरंडी गांव के ग्रामीण, ये है वजह

कोण्डागांव
छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिले में श्मशान भूमि में कब्जे की बात कहकर आरंडी गांव के पांच परिवार का मकान तोड़ दिया. आज ये परिवार अपने टूटे आशियाने के बाहर टेंट लगाकर जीने को मजबूर है. परिवार के लोग खुले आसमान के नीचे तम्बू में रह रहा है. परिवार के लोग अपने टूटे घर के मलबे के नीचे दबे सामान खोज रहे है. इन परिवारों को पुलिस विभाग और ग्रामीणों ने मदद करते हुए सहारा दिया. घटना के चार दिन बाद कलेक्टर नीलकंठ टेकाम ने ग्राम सभा के जरिए पीड़ित परिवारों से मुलाक़ात की. पर कोई नतीजा नहीं निकला. पीड़ित परिवारों का कहना है कि जिला प्रशासन न तो हमारी गुहार सुन रही और न ही हमारे लिए कोई उचित व्यवस्था कर रही है.

पीड़ित परिवारों का कहना है कि अपने टूटे घर और बिखरी जिंदगी को सवारने पीडितों ने जिला प्रशासन से मदद मांगी. पर प्रशासन की ओर से एसडीम ने नियमों का हवाला देकर मदद देने से इनकार कर दिया. उनका कहना है कि हमे जिला प्रशासन से उम्मीदें तो थी, पर वहां भी निराशा ही हाथ लगी.

पीड़ित परिवारों से मिलाने पहुंचे केशकाल के पूर्व विधायक कृष्ण कुमार ध्रुव ने कहा कि जिला प्रशासन की लापरवाही की वजह से पूरी घटना हुई. तथाकथित रूढ़िवादी लोगों ने पीड़ित के साथ-साथ जिला प्रशासन को भी लिखित जानकारी दी थी. साथ ही पीड़ित लोगों ने भी सुरक्षा की मांग की थी. पर जिला प्रशासन पूरी तरह लापरवाह बनी रही.

अरंडी की घटना के बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए दस लोगों को अब तक गिरफ्तार किया है. साथ ही मकान तोड़ने के लिए लाए गए जेसीबी को भी जब्त कर लिया है. एसडीओपी योगेश देवांगन ने बताया कि घटना के बाद से पुलिस ने गांव में ही अस्थाई कैम्प बना दिया है. इस मामले में अब तक 48 लोगों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज किया गया है. साथ ही पीड़ित परिवारों की हरसंभव मदद की जा रही है.

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