डिंपल यादव को हराने वाले सुब्रत पाठक ने कैसे हासिल की जीत, पढ़ें

कन्नौज 
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, कन्नौज के नवनिर्वाचित सांसद सुब्रत पाठक के ऊपर यह पंक्तियां सटीक बैठती हैं। इत्र कारोबारी घराने से ताल्लुक रखने वाले सुब्रत पाठक ने छात्र जीवन से ही भाजपा से जुड़कर खुद को स्थापित किया और जनता के समर्थन से संसद के सदस्य बन गए हैं। शहर के पीएसएम कॉलेज में पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति से सियासत की दुनिया में कदम रखने वाले सुब्रत पाठक ने अपने तीसरे चुनाव में सांसद बनने में कामयाबी हासिल की है। सांसद बनने से पहले वह भाजपा और उससे जुड़े संगठन में सक्रिय रहे हैं। भाजयूमो के जिलाध्यक्ष से लेकर भाजपा के जिलाध्यक्ष के सफर के दौरान उन्होंने जिले में भाजपा को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई। सपा का दुर्ग बन चुके इस जिले में भगवा परचम लहराने के उनके संघर्ष का ही नतीजा था कि पिछले दो लोकसभा चुनाव में उनकी शिकस्त के बावजूद पार्टी ने उन पर भरोसा बरकरार रखा। 
2009 के चुनाव में अखिलेश यादव के मुकाबले तीसरे नम्बर पर रहे थे। हार के बावजूद पार्टी ने उनपर भरोसा रखा और निकाय चुनाव में उनकी मां सरोज पाठक को पालिकाध्यक्ष का टिकट दिया। जनता का प्यार पाकर वह पालिकाध्यक्ष बन गईं। उसके बाद 2014 के चुनाव में पार्टी ने फिर से मौका दिया और वह डिंपल यादव के मुकाबल मैदान में उतरे। कड़े मुकाबले में उन्हें शिकस्त जरूर मिली, लेकिन उन्होंने सपा के दुर्ग में दरार जरूर डाल दी। उस हार के बाद भी पार्टी का भरोसा कम नहीं हुआ और पहले भाजयूमो का प्रदेश अध्यक्ष और उसके बाद प्रदेश संगठन में मंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी। इस बार जब फिर चुनावी बिगुल बजा तो कई दावेदारों को दरकिनार करते हुए पार्टी ने फिर से उन पर भरोसा जताया और टिकट देकर मैदान में उतार दिया। तीसरी कोशिश में सुब्रत पाठक को कामयाबी मिल गई और वह सपा के इस किला को फतह करने में कामयाब हो गए। 

सुब्रत पाठक की जीत कई मायने में अहम है, उन्होंने न सिर्फ चुनाव जीता है, बल्कि बेहद मुश्किल समझी जाने वाली कन्नौज सीट पर भाजपा का परचम लहराया है, वह भी सपा के मुखिया और यहां से लगातार तीन बार सांसद रहे अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल को शिस्त देकर। ऐसे में उनके समर्थक अब यह उम्मीद पाल रहे हैं कि जब अगले कुछ दिनों में देश की नई सरकार का गठन होगा तो जरूर उन्हें भी कन्नौज की सीट को भाजपा की झोली में डालने का ईनाम मिलेगा। समर्थकों को उम्मीद है कि कन्नौज में पार्टी की मजबूती के लिए सुब्रत पाठक को मंत्रीमंडल में शामिल किया जा सकता है। 
 

तीन चुनाव के प्रदर्शन में हर बार हुआ सुधार 

– 2009: अखिलेश यादव के सामने 150872 वोट पाकर तीसरे नम्बर पर रहे। .

– 2014: 469257 लाकर डिंपल यादव से 19907 वोट से हारे, दूसरा स्थान मिला।.

– 2019: 563087 वोट हासिल कर उन्होंने डिंपल यादव को शिकस्त दे दिया। 
 

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