टिड्डी दल ने बढ़ाई पायलटों की भी टेंशन

नई दिल्ली
कोरोना वायरस के डर की वजह से फ्लाइट सर्विस इतने लंबे वक्त तक बंद रहीं। अब घरेलू फ्लाइट्स शुरू हुई हैं तो इसपर टिड्डियों का खतरा मंडरा रहा है। खाड़ी देशों से होते हुए पाकिस्तान के रास्ते भारत पहुंचे टिड्डियों के दल फ्लाइट सर्विस के लिए परेशानी बन गए हैं। टिड्डियों का दल फ्लाइट को उड़ाने, उतारने और पार्क करने तक में दिक्कत पैदा कर सकता है। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने टिड्डियों की दिक्कत को ध्यान में रखते हुए पायलटों को नए निर्देश जारी किए हैं।

टिड्डियों से कैसे है खतरा
डीजीसीए ने पायलटों को बताया है कि, ‘एक अकेला टिड्डी आकार में काफी छोटा होता है। लेकिन बड़ी संख्या में टिड्डियों के होने से पायलट को सामने की ओर सही तरीके से दिखाई नहीं देता। यह विमान के उड़ान भरने, लैडिंग करने और उसे पार्किंग तक ले जाने के दौरान काफी दिक्कतों पैदा करने वाला है।’

नागर विमानन क्षेत्र नियामक ने कहा कि उस वक्त में वाइपर का इस्तेमाल करने से पायलट के सामने के कांच पर टिड्डियों के धब्बे और फैल सकते हैं। यह उनकी दृश्य क्षमता को और खराब कर सकता है। इसलिए पायलट को वाइपर का इस्तेमाल करने से पहले इस बारे में सोचना होगा। बड़ी संख्या में टिड्डियों के होने से पायलट का जमीन का दृश्य भी कमजोर होता है। इसके लिए भी उन्हें सचेत रहना चाहिए। डीजीसीए ने हवाई यातायात नियंत्रकों को उनके नियंत्रण वाले हवाईअड्डों पर टिड्डियों से जुड़ी जानकारी हर आगमन और प्रस्थान वाली उड़ान के साथ साझा करने की सलाह दी है। साथ पायलट भी यदि कहीं टिड्डियों को देखते हैं तो उन्हें उनके स्थान की जानकारी साझा करना चाहिए।

पिछले 20 सालों में सबसे बड़ा हमला
भारत में इन दिनों टिड्डी दलों के हमले का कोहराम है। पिछले 20 सालों में टिड्डी दल का यह पहला बड़ा हमला है। राजस्थान में इससे फसलों को नुकसान पहुंचा है। अब इनका रुख पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की ओर है। रिपोर्ट के अनुसार, करीब 90 हजार हेक्टेयर की हरियाली इस हमलों में उजड़ चुकी हैं। राजस्थान से होते हुए टिड्डियों के इस दल ने मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के अलावा मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में हमले किए हैं। अप्रैल के हमले का फसलों पर ज्यादा असर इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि अधिकतर जगह फसल कट चुकी थी और खेतों में बुआई नहीं हुई थी।

जुलाई में दोबारा कहर बरपा सकते हैं टिड्डी दल
टिड्डियों का दल ओडिशा और बिहार भी पहुंच सकता है। एफएसओ ने इसके लिए चेतावनी जारी की है। इस बीच टिड्डियों के मौजूदा दल को काफी हद तक काबू में करने की बात अधिकारी कर रहे हैं। उनके अनुसार बीकानेर में टिड्डियों के बड़े दल बचे हैं। महाराष्ट्र में भी टिड्डियों के कुछ छोटे दल हैं जो जल्द ही काबू में आ जाएंगे। इस बीच दिल्ली समेत कई जिले हाई अर्लट पर हैं।

एफएओ (फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन ऑफ यूएन) ने आगाह किया है कि टिड्डी दल बिहार और ओडिशा भी पहुंच सकते हैं। इसके साथ ही मॉनसूनी हवाओं के साथ जुलाई में टिड्डी दल दोबारा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान लौट सकता है। जयपुर में अब स्थिति नियंत्रण में हैं। टिड्डी चेतावनी दल के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. के एल गुर्जर ने बताया कि महाराष्ट्र में टिड्डी के छोटे दल ने घुसपैठ की है। अब टिड्डियां बीकानेर में बनी हुई हैं।

इस बीच टिड्डी वॉर्निंग ऑर्गेनाइजेशन (एलडब्ल्यूओ) ने चेताया है कि वर्तमान टिड्डी समस्या से भी बड़ी समस्या टिड्डियों की नई नस्ल हो सकती है। अधिकारियों के अनुसार एक वयस्क मादा टिड्डी अपने तीन महीने के जीवन चक्र में तीन बार 80 से 90 अंडे देती है। ये अंडे नष्ट नहीं हुए तो एक झुंड में 4 से 8 करोड़ तक टिड्डियां प्रति वर्ग किलोमीटर में दिखाई देंगी। किसानों की खरीफ की फसल भी जुलाई, अगस्त और सितंबर के दौरान तैयार होती है, जिसे ये टिड्डी दल पहल में चट कर सकता है।

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