टिड्डियों को लेकर बिहार के 20 जिले अलर्ट पर, हवा के रूख पर निर्भर टिड्डियों की चाल 

पटना 
बिहार के विभिन्न जिलों में टिड्डियों के प्रवेश के बाद 20 जिले अलर्ट पर हैं। कृषि विभाग ने टिड्डियों के प्रवेश वाले दस जिलों को औरेंन्ज जोन में रखते हुए अधिकारियों को सावधान कर दिया है। खास बात यह कि विभाग ने राज्य के किसी भी जिले को लाल जोन में नहीं रखा है। 

इसके अलावा पीला जोन में दस जिले रखे गये हैं, जहां सावधानी बरतने का निर्देश दिया गया है। शेष सभी जिलों में को विभाग ने हरा जोन में रखते हुए खतरे से बाहर बताया है।
 
विभाग के निदेशक आदेश तितरमारे ने सोमवार की सुबह दस बजे कार्यालय खुलते ही स्थिति की समीक्षा की और हर घंटे की रिपोर्ट देने का निर्देश पौधा संरक्षण विभाग के अधिकारियों को दिया। निर्देश दिया कि प्रभावित जिलों में सभी आवश्यक तैयारियों के साथ अधिक से अधिक टिड्डियों को मारने का प्रयास किया जाए। 

विभाग ने जिन जिलों को औरेन्ज जोन में रखा है उनमें पटना में पहुंचे दल में 50 हजार टिड्डियों के होने का अनुमान है। भोजपुर में पहुंचे दल में लगभग 60 हजार टिड्डियां हैं। अधिकारियों को अनुमान है कि लगभग तीस हजार को ट्रीटमेंट से मारा गया है। रोहतास में बहुत छोटा दल है जिसमें लगभग पांच हजार टिड्डियां हैं। वहां भी तीन हजार को मारा गया गया है। कैमूर में संख्या 40 हजार की थी वहां भी दो हजार टिड्डियों को मारा गया है। पश्चिम चम्पारण, पूर्वी चम्पारण और जहानाबाद पहुंचे दल में 50 से 60 हजार की संख्या है। औरंगाबाद, सारण और अरवल में भी छोटा दल है। इन जगहों पर उपचार किया जा रहा है। किसी जिले से फसल की बहुत नुकसान की सूचना नहीं है। 

विभाग ने हवा के रूख और टिड्डियों की चाल को ध्यान में रखकर नालंदा, बक्सर, गया, नवादा, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर और वैशाली जिलों को पीला जोन में रखा है। यहां के अधिकारियों को सजग रहने की हिदायद दी गई है। चूकि इन जिलों के आसपास में दल पहुंच चुका है लिहाजा वहां भी आक्रमण हो सकता है। 

हालांकि प्रभावित जिलों में कई प्रखंड के किसानों ने ढोल पीटकर दल को भगा दिया। लेकिन सूचना समय से नहीं मिलने के कारण वह दल अगले प्रखंडों में दल बैठ जाता है। हालांकि अभी फसल खेत में नहीं होने से दिक्षिण बिहार में पेड पर ही उन्हें बैठना पड़ा है। उत्तर बिहार में खेतों में रोपनी हो गई है लेकिन वहां भी अभी पौधे बहुत छोटे हैं। लिहाजा फसल के बहुत नुकसान की आशंका नहीं है। 
 

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